मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 5 अक्टूबर को दो हिमालयन ब्लैक बीयर का करेंगे नामकरण

Update: 2022-10-04 05:51 GMT

गोरखपुर न्यूज़: शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 5 अक्टूबर को दौरा करेंगे। इससे पूर्व वन्यजीव सप्ताह का आयोजन चल रहा है। सोमवार को कानपुर से 18 वर्षीय मादा हिमालयन ब्लैक बीयर शालिनी गोरखपुर पहुंच गई है। लखनऊ प्राणी उद्यान से नर हिमालयन ब्लैक बीयर सिन्नर को भी गोरखपुर प्राणी उद्यान लाया गया है। अब 5 अक्तूबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन दोनों को बाड़ा प्रवेश करवाएंगे। यह दोनों वन्यजीव प्रेमियों और पर्यटको के दर्शनार्थ उपलब्ध कराएंगे।

5 अक्टूबर से पर्यटकों के लिए उपलब्ध रहेंगे: शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान के लोकार्पण के एक साल बाद भी हिमालयन ब्लैक बीयर का बाड़ा रिक्त पड़ा हुआ था। सीजेडए की अनुमति के बाद लखनऊ और कानपुर प्राणी उद्यान से सोमवार को पशु चिकित्सक डॉ.रवि यादव, वन रक्षक जू कीपर को साथ लेकर प्राणी उद्यान पहुंचे। पशु चिकित्साधिकारी डॉ.योगेश कुमार श्रीवास्तव की निगरानी में उन्हें प्राणी उद्यान में वाहन से उतारा गया। प्राणी उद्यान के वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ डॉ.योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि दोनों भालू पूरी तरह स्वस्थ हैं। इनके आने से प्राणी उद्यान की रौनक बढ़ गई है। बहुत शीघ्र यह दर्शकों के मनोरंजन का भी हिस्सा बन जाएंगे।

गोरखपुर में भालुओं की संख्या 4 हुई: प्राणी उद्यान के पशु चिकित्सक ने बताया कि इनके आने से प्राणी उद्यान में बीयर (भालू ) की संख्या 4 हो जाएगी। इससे पहले रांची प्राणी उद्यान से एक नर और एक मादा स्लॉथ बीयर लाए गए थे। इनकी उम्र 25 से 30 वर्ष होती है। हिमालय ब्लैक बीयर संरक्षित प्रजाति है। वन्य जीव एवं पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत संस्था हेरिटेज फाउंडेशन के वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर अनिल कुमार तिवारी और मनीष चौबे ने हर्ष व्यक्त किया है। अनिल ने बताया कि संरक्षित प्रजाति के हिमालयी काला भालू (सेलेनार्कटास थिबेतानस लैनिगर) उम्र 25 से 30 वर्ष होती है। यह भारत के साथ ही नेपाल, भूटान, तिब्बत और पाकिस्तान के हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है। इसका आकार 1.40 से 1.70 मीटर तक होता है। वजन 90 से 120 किलोग्राम तक हो सकता है।

सर्वभक्षी प्राणी होता है भालू: यह एक सर्वभक्षी प्राणी है। यह मांस और पौधों, दोनों का सेवन करता है। इसे शहद और दीमक बहुत पसंद होती हैं। काफी भारी वजनी होने के बावजूद भी यह लगभग 64 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है। इसे बुद्धीमान जीव माना जाता है, जो मनुष्यों से कई गुना अधिक सूंघने की क्षमता रखता है। भारी भरकम होने के बावजूद पेड़ और पहाड़ियों में भी बिना किसी कठिनाई चढ़ सकता है।

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