लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी ऑफलाइन ठगी में सबसे आगे हैं. रोजना रेलवे और सेना समेत सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी हो या फिर टेंडर दिलाने को लेकर धोखाधड़ी के कई मुकदमे दर्ज होते हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों में राजधानी के सचिवालय में सामने आए ठगी के मामलों ने सबको चैंका दिया हैं. नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी हो या टेंडर दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी सचिवालय के अंदर आराम से ये सब अंजाम दिए जाते रहे हैं. हालांकि कई मामलों का पुलिस और एजेंसियों ने इसका खुलासा किया है.उत्तर प्रदेश में कोई ऐसी जगह नहीं बची है, जहां ठग मौजूद न हो. नटवरलाल से लेकर मंत्रियों के निजी सचिव तक लोगों को नौकरी और टेंडर के नाम पर ठग रहे हैं और इसके लिए उन्होंने अपना नया ठिकाना सचिवालय को बना लिया है और इस बात की तस्दीक करते हैं. बीते दिनों में एसटीएफ के हुए खुलासे जिसमें सचिवालय कर्मचारियों को ठगी के आरोप में गिरफ्तार किया है. दिलचस्प बात यह है कि ठगी में योगी सरकार के मंत्रियों के निजी सचिव से लेकर सचिवालय के अन्य कर्मी तक शामिल है.
साल 2020 को हजरतगंज थाने में इंदौर के व्यापारी मंजीत ने एफआईआर दर्ज कराई थी कि योगी सरकार के मत्स्य और पशुधन मंत्री के निजी सचिव रजनीश दीक्षित ने अपने साथियों के साथ आटे की सप्लाई का 292 करोड़ का ठेका दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी की थी. यह ठगी सचिवालय में मंत्री के कमरे में कई गयी थी. इस मामलें में निजी सचिव समेत 12 ठग गिरफ्तार हुए थे. इसमें डीआईजी अरविंद सेन यादव ने भी ठगों का साथ दिया था.
मंत्री के कमरे में लेता था फर्जी इंटरव्यू, बेरोजगारों को ठगा
3 महीने पहले योगी सरकार 1.0 में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के निजी सचिव रहे अरमान खान को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया. अरमान अपने कुछ साथियों के साथ मंत्री के कमरे मे बेरोजगार युवकों को नौकरी के नाम पर ठगता था. उसी कमरे में इंटरव्यू लेता था और जॉइनिंग लेटर भी दिया जाता था.
सेना में नौकरी दिलाने के नाम पर सचिवालय में बैठ कर ठगी
बीती 27 जुलाई को एसटीएफ ने सचिवालय में केंद्रीय अनुभाग में तैनात निजी सचिव विजय मंडल को उसके 3 साथियों के साथ गिरफ्तार किया था. मंडल अपने साथियों के साथ मिलकर बेरोजगारों को सचिवालय में बुलाता था, उन्हें यूपी सरकार के कई विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगता था.
पहले भी हुई है सचिवालय में ठगी
1: साल 2011 में पीड़ित उमेश कुमार ने पुलिस से शिकायत की थी कि 2010 में उसकी मुलाकात सुधीर यादव से हुई. उसने खुद को मंत्री का खास बताया और उसे नौकरी लगवाने का झांसा दिया. इसके बाद उसने उसकी मुलाकात जौनपुर निवासी मंशाराम उपाध्याय से करायी. मंशा ने माध्यमिक शिक्षा परिषद में लिपिक की नौकरी का लालच दिया. जिस पर उमेश ने खुद के अलावा पत्नी प्रीति सिंह, टूंडला निवासी रविंदर, अनुराग व सुनील मिश्र की नियुक्ति के लिये 15 लाख रुपये सौंप दिये. रकम ऐंठने के बाद मंशाराम व सुधीर ने उमेश की मुलाकात सचिवालय के आरसी मिश्र से कराई. आरसी मिश्र तत्कालीन ऊर्जा मंत्री के निजी सचिव थे. 31 मार्च 2011 को दोपहर 12 बजे उन्हें सचिवालय के गेट नंबर 9 पर बुलाया गया और कमरा नंबर एमएम 951ख में जालसाजों ने सचिवालय में तैनात अपर सचिव जय किशोर द्विवेदी को नियुक्ति अफसर बताते हुए उनका इंटरव्यू कराया. दो माह बाद रविंदर को सरस्वती उमा विद्यालय में नियुक्ति का लेटर पहुंचा. जब वे ज्वाइन करने पहुंचे तो पता चला कि स्कूल तो आठवीं तक है और नियुक्ति पत्र फर्जी है.
2: सपा सरकार में खुद को कैबिनेट मंत्री का पीआरओ बताने वाले ठग अभिषेक निगम ने विधानसभा सचिवालय में अपनी पहुंचा का फायदा उठाते हुए दूसरे राज्यों के कई व्यापारियों को चूना लगाया था. किसी व्यापारी को उसने स्कूल बैग की सप्लाई का टेंडर दिलवाने तो किसी को साड़ियों की सप्लाई का काम दिलवाने के नाम पर करोड़ों का चूना लगाया. इन सभी ठगी में उसने अपने शिकार को विश्वास में लेने के लिये विधानसभा सचिवालय का भरपूर इस्तेमाल किया.
पास बनाने वालों पर एसटीएफ की नजर
यूपी एसटीएफ के डिप्टी एसपी दीपक सिंह ने बताया कि सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि आखिरकार ये ठग सचिवालय पास कैसे बनवा लेते है. सचिवालय कर्मी भले ही इनकी ठगी में शामिल होते लेकिन पास बनवाने की प्रक्रिया में अन्य कर्मी तैनात होते है. दीपक के मुताबिक, जो भी पास बनाने में खेल करने वालों पर नजर रखी जा रही है. उनके मुताबिक, सचिवालय में कुछ और भी कर्मचारी है जो ठगी में शामिल है. जल्द ही उनकी गिरफ्तारी होगी.
सचिवालय में ठगना है आसान
दीपक सिंह के मुताबिक, अब तक जितने भी पीड़ित सामने आए है उनसे बात करने पर पता चलता है कि जब उनसे कोई सचिवालय कर्मी नौकरी दिलाने की बात करता है तो उन्हें तुरन्त उसपर भरोसा हो जाता है. क्यों कि वे समझते है कि अधिकतर नौकरियां सचिवालय से ही निकलती है और अन्य विभागों में पहचान भी होती है. जिससे वहां का भौकाल देख कर युवा भरोसा कर लेते है. यही नही ठग इतना आडंबर तैयार कर लेते है कि किसी को भी ठगी होने का एहसास ही नही होता है.