रेफरल सेंटर बनी सीएचसी, जिला अस्पताल में भीड़

Update: 2023-09-27 13:56 GMT
उत्तरप्रदेश | पिछले करीब एक माह से चल रहे तेज बुखार व संक्रामक रोगों के कहर से जहां मेडिकल कॉलेज व जिला स्तरीय अस्पतालों में मारामारी की स्थिति है, वहीं सीएचसी-पीएचसी महज रेफरल सेंटर बनकर रह गए हैं और वार्डों में सन्नाटा पसरा है.
जिले में सीएमओ के अधीन 15 सीएचसी व 28 पीएचसी संचालित हैं. प्रत्येक सीएचसी पर तीस-तीस बेड स्थापित है. डेंगू के लिए अलग से वार्ड आरक्षित हैं. जांच, दवाओं के साथ चिकित्सकों की उपलब्धता का भी दावा किया जा रहा है. लेकिन हकीकत में यहां सन्नाटा पसरा हुआ है और सारा भार मेडिकल कॉलेज व जिला स्तरीय अस्पतालों पर है. कुछ तो समुचित इलाज न मिलने की आशंका में लोग सीएचसी पहुंचने से भी कतराते हैं, जो पहुंचते भी हैं, उनमें ज्यादातर को रेफर कर दिया जाता है. हिंदुस्तान टीम ने दो सीएचसी व जिला अस्पताल का एक साथ जायजा लिया तो यही तस्वीर सामने आई. जिला अस्पताल के लगभग सभी बेड फुल रहे और मरीजों को भर्ती होने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा.
मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पताल के वार्डों पर एक नजर मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में 80 बेड का वार्ड आरक्षित है. यह लगभग फुल रहा. जबकि, डेंगू के सात मरीज भर्ती मिले. जिला अस्पताल के 40 बेड के मेडिकल वार्ड में 40 व बीस बेड के जनरल वार्ड में 19, 12 बेड के न्यू इमरजेंसी में 11, 12 बेड के बच्चा वार्ड में 13 मरीज भर्ती मिले.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एक नजरसीएचसी बीकापुर में पांच बेड के डेंगू वार्ड में एक भी मरीज नहीं है. वहीं, अन्य 25 बेड के वार्डों में महज पांच मरीज भर्ती मिले.
इनमें तीन प्रसूताएं शामिल हैं. सीएचसी तारुन पर डेंगू के सभी आठ बेड खाली मिले. वार्ड में एक भी मरीज भर्ती नहीं मिला. फार्मासिस्ट चंद्रप्रकाश वर्मा ने बताया कि दवाएं उपलब्ध हैं. 14 मरीजों की डेंगू जांच किट से की गई है.
कम पड़ने लगे बेड तो दो भाग में हुआ डेंगू वार्ड जिला अस्पताल के 40 बेड का मेडिकल वार्ड फुल हो गया और बेड के लिए मारामारी की स्थित उत्पन्न हुई तो 16 बेड के डेंगू वार्ड को दो भाग में करके आठ बेड का बना दिया गया. वहीं, ईएनटी, न्यू इमरजेंसी व जनरल वार्ड में भी मेडिसिन विभाग के मरीज भर्ती किए जा रहे हैं.
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