प्रदेश में बिना अनुमति चराई केंद्र बनाने को चुनौती, केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस
बिलासपुर न्यूज़: प्रदेश में विभिन्न जगहों पर वन क्षेत्र में मवेशियों के लिए चराई केंद्र बनाने के विरुद्ध हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने राज्य और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. प्रकरण की अगली सुनवाई 3 सप्ताह बाद होगी. छत्तीसगढ़ में 1500 अलग-अलग जगहों पर आवर्ती चढ़ाई केंद्र बनाने की योजना है. इसमें से 1307 जगह पर ये बन चुके हैं. इन केंद्रों में मल्टी एक्टिविटी सेंटर चलाया जा रहा है, जहां मछली पालन, बटेर पालन, सुअर पालन, फूल झाड़ू निर्माण तथा स्व सहायता समूह को कार्य करने की जगह वगैरह दी जा रही है. इस योजना को डीके सोनी और संदीप तिवारी ने एडवोकेट अदिति सिंघवी के माध्यम से जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी है. उनका कहना है कि किसी भी वन भूमि पर बिना केंद्र सरकार की अनुमति के गैर वानिकी कार्य नहीं किए जा सकते. राज्य सरकार ने इन केंद्रों का निर्माण करने के लिए केंद्र सरकार से कोई भी अनुमति नहीं ली गई है. यह फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट 1980 के प्रावधानों के विरुद्ध है. इन गतिविधियों से वनभूमि को नुकसान होगा और वहां की पारिस्थिकी भी प्रभावित होगी. साथ ही केंद्र सरकार की अनुमति बिना बनाए जा रहे ये केंद्र अवैधानिक भी हैं.
कोर्ट ने कहा- निर्माण कानून विरुद्ध हुए तो हटाने पड़ेंगे
सुनवाई के दौरान कार्यकारी चीफ जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस नरेश कुमार चंद्रवंशी की युगल पीठ ने कहा कि अगर ये निर्माण कानून के विरुद्ध किए गए है तो इन्हें हटाना पड़ेगा. बहस के दौरान कोर्ट ने कहा कि वृक्ष और वन्यजीव कोर्ट नहीं आ सकते, किसी को तो आना पड़ेगा.