केंद्र सरकार ने कालानमक चावल के निर्यात से रोक हटाते हुए अधिसूचना जारी की
1000 टन कालानमक चावल निर्यात को कोड मिला
झाँसी: केंद्र सरकार ने कालानमक चावल के निर्यात से रोक हटाते हुए अधिसूचना जारी कर दी है. फिलहाल एक हजार मीट्रिक टन के निर्यात का कोड जारी किया गया है. इस संबंध में अधिसूचनाप्रभावी हो गई है.
कीमतों पर अंकुश के लिए केंद्र सरकार ने पिछले साल जुलाई में गैर बासमती श्रेणी के चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी. इसकी जद में जीआई दर्जा प्राप्त कालानमक चावल भी आ गया था. क्योंकि देश में अंग्रेजों के जमाने में बासमती और गैर बासमती श्रेणियों में किया गया चावल का वर्गीकरण अब भी चल रहा है. जबकि केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक से इसके निर्यात के लिए प्रोत्साहन मिलता है. खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसका संज्ञान लिया और केंद्र सरकार से निर्यात पर रोक हटाने का अनुरोध किया.
विदेश व्यापार महानिदेशक संतोष कुमार नारंगी की ओर से अधिसूचना जारी होने से सिद्धार्थनगर और गोरखपुर समेत पूर्वांचल के 11 जिलों के किसानों को लाभ मिलेगा. निर्यात के लिए कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार निदेशालय लखनऊ के निदेशक ऋषिराज सिंह को नोडल नियुक्त किया है. कालानमक चावल और उसकी मात्रा प्रमाणित करने की जिम्मेदारी नोडल की होगी.
इसलिए जरूरी थी निर्यात की मंजूरी कृषि वैज्ञानिक डॉ. राम चेत चौधरी के मुताबिक साल 2019-20 में कुल उत्पादन का सिर्फ फीसदी कालानमक चावल निर्यात होता था. साल में यह आंकड़ा फीसदी तक पहुंच गया था. पिछले साल 47 हजार टन कालानमक धान का उत्पादन पूर्वी प्रदेश के 11 जनपदों में हुआ है. निर्यात पर रोक से किसान मायूस थे.
11 जिलों का जीआई है कालानमक चावल कालानमक धान को बहराइच, बलरामपुर, बस्ती, देवरिया, गोंडा, गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, संतकबीरनगर, श्रावस्ती और सिद्धार्थनगर में भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग मिला है.
एमटी का ऑर्डर, 500 एमटी के नवीनीकरण की उम्मीद कालानमक के निर्यातक अभिषेक कहते हैं कि सिंगापुर से फिलहाल एमटी का ऑर्डर है. प्रतिबंध से पहले सौ एमटी का ऑर्डर था जिस पर रोक लग गई थी. निर्यात बहाल होने की अधिसूचना की कॉपी भेजकर आर्डर के नवीनीकरण की कोशिश की जा रही है.