रामपुर तिराहा कांड में सीबीआई को नहीं मिले मूल दस्तावेज

Update: 2023-08-08 04:21 GMT

मुजफ्फरनगर। रामपुर तिराहा कांड में पीडि़तों से हथियारों की फर्जी बरामदगी के मामले में सीबीआई के विवेचक की गवाही पूरी हो गई है। रामपुर तिराहा कांड की गायब मूल पत्रावलियों को सीबीआई अभी तक नहीं तलाश कर पाई है। पत्रावलियों की फोटोकॉपी के आधार पर साक्ष्य कराने के मामले में बचाव पक्ष ने अपनी संशोधित आपत्ति दाखिल की।

अपर जिला जज एवं सत्र न्यायालय संख्या सात के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने सुनवाई के लिए नौ अगस्त की तिथि तय की है। शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव शर्मा, सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी परवेंद्र सिंह, उत्तराखंड़ संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा और रजनीश चौहान ने बताया कि सरकार बनाम मिलाप सिंह और राधा मोहन की पत्रावली में सोमवार को सुनवाई हुई है।

सीबीआई का कहना है कि मूल दस्तावेजों की फोटोकॉपी उपलब्ध है, इनके आधार पर दूसरे गवाह को अदालत बुलाने की अनुमति दी जाए। बचाव पक्ष की ओर से फोटोकॉपी पर साक्ष्य कराने के मामले में संशोधित आपत्ति दाखिल की गई है। सीबीआई की ओर से अभी तक एक पीडि़ता का बयान दर्ज कराया गया है। सीबीआई का कहना है कि मूल दस्तावेजों की फोटोकॉपी उपलब्ध है, इनके आधार पर दूसरे गवाह को अदालत बुलाने की अनुमति दी जाए।

बचाव पक्ष की ओर से फोटोकॉपी पर साक्ष्य कराने के मामले में संशोधित आपत्ति दाखिल की गई है। सीबीआई की ओर से अभी तक एक पीडि़ता का बयान दर्ज कराया गया है। एक अक्तूबर, 1994 को अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे।

देर रात रामपुर तिराहा पर पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने का प्रयास किया। आंदोलनकारी नहीं माने तो पुलिसकर्मियों ने फायरिंग कर दी, जिसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। सीबीआई ने मामले की जांच की और पुलिस पार्टी और अधिकारियों पर मुकदमे दर्ज कराए थे। गंभीर धाराओं के ट्रायल मुकदमों की सुनवाई के लिए हाईकोर्ट ने जिले के अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर सात के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह को अधिकृत किया है।

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