संसाधनों के अभाव में दम तोड़ रहा टीबी के खिलाफ चला अभियान, जानिये क्या है हकीकत

Update: 2022-10-04 18:19 GMT
संसाधनों के अभाव में दम तोड़ रहा टीबी के खिलाफ चला अभियान, जानिये क्या है हकीकत
  • whatsapp icon

सरकार ने तय किया है कि साल 2025 तक भारत से टीबी को जड़ से खत्म कर दिया जाएगा। इसे मिशन का नाम देते हुए पैसा भी खूब बहाया गया। सरकार ने जिन जिन को टीबी कन्ट्रोल करने की ज़िम्मेदारी सौंपी थी, उन्हें बाइक दी,ताकि गांव-गिरावं पहुंच कर और मेहनत की जा सके। लेकिन सरकारी सिस्टम की अनदेखी के चलते दी गई बाइक कबाड़ हो रहीं हैं। वजह तकरीबन 6 महीने हो चुके हैं, उन सरकारी बाइक को बूंद भर भी पेट्रोल नहीं मयस्सर हो सका है।

ज़िले में क्षय रोगी महकमें में तैनात 31 कर्मचारियो को पिछले 6 महीनों से सरकारी बाइक चलाने के लिए पेट्रोल की एक बूंद तक नहीं दी गई। पेट्रोल की पर्ची ही नही मिली है। जिस वजह से सरकारी बाइक खड़ी हो गयी है। टीबी मरीजो की देखरेख के लिए क्षय रोग महकमें के 31 कर्मचारियों को सरकारी बाइक दी गई थी। टीबी को रोकने के लिए दौड़ाने के लिए सरकारी पेट्रोल मिलता था। विभागीय सिस्टम की लापरवाही के चलते 15 मार्च से किसी भी कर्मचारी को पेट्रोल नही मिला है। पेट्रोल ना मिलने से सरकारी बाइक खड़ी हो गयी है। नतीजतन वह कबाड़ में तब्दील होने लगी है और पूरा कार्यक्रम भी बाधित हो रहा है।

बताया गया है कि बाइक से टीबी मरीजो के घर की विजिट करने का कार्य कर्मचारियो से लिया जाता है। जियो ट्रेकिंग भी पूरी तरह से ठप है। इसके अलावा टीबी मरीज का डेटा सुरक्षित रखने के लिए कर्मचारियों को सरकारी टैबलेट मिले है इन टैबलेटो में 6 महीने से रिचार्ज नही हुआ है। जिस कारण ऑन लाइन वर्क होने में दिक्कत आ रही है। इस संबंध में डीटीओ डा. देश दीपक पाल ने बताया अभी तक बजट नही था इसलिए पेट्रोल नही मिल पा रहा था। बजट आ गया है पेट्रोल पंप संचालको से बातचीत चल रही है जल्द ही सबको पेट्रोल दिया जाएगा।

न्यूज़ क्रेडिट: amritvichar

Tags:    

Similar News