बस में लगी आग किसी साजिश का हिस्सा तो नहीं

Update: 2022-12-17 11:33 GMT

मेरठ: दो दिन पूर्व यूपी परिवहन निगम की चलती बस में लगी आग एक हादसा है, या कोई साजिश, इसका पता लगाने के लिए एआरएम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। समिति शनिवार को ही सुबह 10 बजे क्षेत्रीय कार्यशाला में बस का निरीक्षण करके रिपोर्ट देगी। गौरतलब है कि इस घटना के लिए प्राथमिक स्तर पर बड़ौत डिपो के सीनियर फोरमैन को दोषी मानते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जा चुका है।

मेरठ परिक्षेत्र के आरएम केके शर्मा ने बताया कि दो दिन पूर्व बुधवार को भोर के समय हरिद्वार से दिल्ली जा रही बड़ौत डिपो की बस संख्या यूपी-30 एटी 2588 में हिंडन एयरपोर्ट के समीप आग लगने की घटना हुई थी। इस बस में सवार 19 यात्रियों को परिवहन निगम की अन्य बस में ट्रांसफर कर दिया गया था। घटना के समय बस को अमित कुमार चला रहा था, जबकि परिचालक सचिन कुमार ड्यूटी पर था।

शुक्रवार सुबह हादसे की शिकार बस को खिंचवाकर मेरठ परिक्षेत्र की कार्यशाला लाया गया। जहां आरएम केके और सेवा प्रबंधक ने अधिकारियों के साथ बस का प्रारंभिक निरीक्षण किया। जिसमें ऐसा प्रतीत हुआ कि इस मामले की गहन जांच और आग के कारण का बारीकी से निरीक्षण आवश्यक है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए तत्काल एआरएम मेरठ जगदीश सिंह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई। जिसमें सीनियर फोरमैन मेरठ और गढ़ को शामिल किया गया है।

इन तीनों को शनिवार सुबह क्षेत्रीय कार्यशाला पहुंचकर जली हुई बस का गहनता से निरीक्षण करके रिपोर्ट देने को कहा गया है। उल्लेखनीय है कि इस सिलसिले में सेवा प्रबंधक मेरठ सत्यनारायण ने चालक परिचालकों के बयान व बड़ौत डिपो से बस का रिकॉर्ड व दोष पंजिका आदि का अध्ययन करके बड़ौत डिपो के सीनियर फोरमैन ओमवीर सिंह को प्रथम दृष्ट्या दोषी पाते हुए उनकी रिपोर्ट परिवहन निगम मुख्यालय भेजी थी। इस रिपोर्ट के आधार पर उच्चाधिकारियों के स्तर से ओमवीर सिंह को निलंबित किया जा चुका है।

बसों की हालत खराब मिली तो दंडित किए जाएंगे अधिकारी: उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की ओर से संचालित निगम और अनुबंधित बसों की दशा और रखरखाव के लिए मुख्यालय से नई गाइडलाइन जारी की गई है। जिसमें निरीक्षण के दौरान बस संचालन के लिए निर्धारित 14 बिंदुओं के अनुरूप न पाए जाने पर अधिकारियों को दंडित किए जाने का प्रावधान रखा गया है। नई व्यवस्था एक जनवरी 2023 से लागू हो जाएगी।

विभाग की गाइड लाइन के अनुसार की बॉडी कंडीशन, पेंट, अगली व पिछली विन्ड शील्ड, खिड़कियों के शीशे, फर्श की स्थिति, सीटों की दशा, डेस्टिनेशन बोर्ड, वांछित स्टीकर, राइटिंग कार्य, रिफ्लेक्टिंग टेप एवं साफ-सफाई आदि की गुणवत्ता सुनिश्चित करने को कहा गया है। इसके अलावा छत की दशा, हैटरेस्त, लगेज रैक, विशिष्टजनों की सीट मार्किंग, फायर एक्सटिंग्यूशर आदि को भी देखा जाएगा। एमडी संजय कुमार की ओर से जारी किए गए आदेश में इस बात पर नाराजगी जताई गई कि निरीक्षण में मार्ग पर संचालित बसों को देखकर ऐसा प्रतीत हुआ कि क्षेत्रीय अधिकारियों के स्तर से बसों की भौतिक दशा एवं साफ-सफाई पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जबकि निगम मुख्यालय की ओर से निरन्तर निगम बसों की भौतिक दशा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। परन्तु अपेक्षित सुधार परिलक्षित नहीं हो रहा है। बसों की असंतोषजनक भौतिक दशा से निगम की छवि धूमिल हो रही है।

इस परिस्थिति में आवश्यक हो गया है कि बसों की भौतिक दशा असंतोषजनक पाए जाने पर सम्बन्धित अधिकारियों/ उपाधिकारियों पर अर्थदंड अधिरोपित किया जाए। इसके लिए उत्तरदायित्व के निर्धारण के लिए बसों की भौतिक दशा का परीक्षण उपरोक्त 14 बिन्दुओं पर किया जाएगा। जिसमें अलग-अलग स्तर से किए जाने वाले निरीक्षण में अनुबंधित बस के स्वामी से लेकर ड्यूटी क्लर्क, चालक, ग्रुप इंचार्ज, सीनियर फोरमैन आदि पर जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है। वहीं उच्च स्तर से किए जाने वाले निरीक्षण में कमी पाए जाने पर एआरएम से लेकर आरएम और सेवा प्रबंधक तक को दंडित करने का प्रावधान किया गया है।

रात्रिकालीन सेवाओं की बसों का दिन में होगा संचालन: परिवहन निगम मुख्यालय से बसों के संचालन के संबंध में नई गाइडलाइन जारी की गई है। जिसके अनुसार सर्दी के मौसम में 60 प्रतिशत से कम लोड फैक्टर वाली रात्रिकालीन सेवाओं की बसों को दिन में संचालित किया जाएगा। इससे एक बड़ा लाभ यह भी होगा कि घाटे में संचालन के बावजूद रात के समय डबल चालक दल भेजने का खर्च भी बच सकेगा। यह आदेश 15 फरवरी 2023 तक प्रभावी रहेंगे। मुख्यालय से जारी किए गए निर्देश में कहा गया कि दिन में संचालित होने वाली बस का लोड फैक्टर 75 प्रतिशत से कम न रहे। तथा रात्रिकालीन बस सेवाओं का लोड फैक्टर लीन सीजन में 64 प्रतिशत व सामान्यत: 68 प्रतिशत से कम न रहे। बस उपयोगिता बढ़ाने के प्रयोजन से बसों को किसी भी मार्ग अथवा मार्गांश पर खाली न चलाया जाए। एक से अधिक ट्रिप वाली बस सेवा की ट्रिप भी खाली न चले। रात्रिकालीन सेवाओं में गन्तव्य के लिए 15 यात्री सहित कुल 30 यात्री अवश्य सवार होने पर ही बस सेवा को प्रस्थान दिया जाए। ऐसा न होने की स्थिति में प्रस्थान की संख्या में कटौती की जाए। इसमें यह भी ध्यान रखने को कहा गया है कि एक ही बस को रोज-रोज निरस्त करने की स्थिति न बने। साथ ही यात्रियों को पीछे से आने वाली दूसरी बस के जरिये गन्तव्य तक जाने की सुविधा मिल सके।

रोडवेज अधिकारियों को मिलेंगे नए सीयूजी नंबर: परिवहन निगम मुख्यालय की ओर से वरिष्ठ अधिकारियों के लिए पदेन सीयूजी नंबर जारी किए जाएंगे। जिनके बारे में निगम की बसों में टेम्पलेट लगाए जाएंगे। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में मुख्यालय स्तर से निर्णय लिया जा चुका है, जिसको नए साल तक अमलीजामा पहनाया जा सकता है। जिन अधिकारियों को पदेन सीयूजी नंबर दिए जाएंगे, उनमें प्रबंध निदेशक, प्रबंधक, हर परिक्षेत्र में क्षेत्रीय प्रबंधक, सेवा प्रबंधक, समस्त सहायक प्रबंधक, वित्त आदि शामिल होंगे। गौरतलब है कि प्रदेश में 105 डिपो और 20 क्षेत्रीय प्रबंधक के साथ 20 सेवा प्रबंधक सेवारत हैं।

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