सरधना: शनिवार सुबह सरधना के सलावा गांव में गंगनहर पर बना ब्रिटिशकालीन पुल उस समय टूट गया, जब उसके ऊपर से एक ट्रक गुजर रहा था। पुल टूटने के साथ ही ट्रक भी गंगनहर में गिर गया। चालक ने किसी तरह ट्रक से निकलकर अपनी जान बचाई। वहीं, पुल टूटने की सूचना से अधिकारियों में हड़कंप मच गया। तमाम अधिकारी निरीक्षण करने के लिए मौके पर पहुंच गए।
पुल टूटने के बाद दर्जनों गांवों का आपस में संपर्क टूट गया। ग्रामीण लंबे समय से नए पुल की मांग कर रहे थे। क्योंकि यह पुल सालों से जर्जर हालत में था। गनीमत रही कि हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई। फिलहाल प्रशासन की ओर से कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है।
सलावा गांव के निकट गंगनहर पर झाल के लिए तो नया पुल बन गया था। मगर बिजलीघर के लिए उससे कटने वाली दूसरी नहर का ब्रिटिश कालीन पुल की आज तक चला आ रहा था। पुल की चौड़ाई बेहद कम होने के कारण एक समय में एक ही वाहन निकल पाता था। यह पुल सालों से जर्जर हालत में था। वाहन गुजरते समय पुल हिलता था। क्षेत्र के लोग काफी समय से नए पुल के निर्माण की मांग कर रहे थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
शनिवार सुबह सवेरे डस्ट से भरा एक ट्रक गंगनहर पटरी से सलावा गांव में जा रहा था। भारी भरकर ट्रक पुल पर पहुंचा तो भरभराकर पुल टूट गया। आधा ट्रक गंगनहर में और बाकी हवा में लटक गया। चालक ने किसी तरह ट्रक से निकल कर अपनी जान बचाई। पुल टूटने की सूचना से ग्रामीणों और अधिकारियों में हड़कंप मच गया। एसडीएम पीपी राठौर व सीओ बृजेश सिंह के अलावा तमाम अधिकारी मौके पर निरीक्षण करने पहुंच गए।
पुल पर पुलिस पिकैट तैनात कर दी गई। ताकि कोई जनहानि नहीं हो सके। कुल मिलाकर प्रशासन की लापरवाह के कारण एक बड़ा हादसा होने से बच गया। पुल टूटने के बाद दर्जनों गांवों का आपस में लिंक टूट गया है। जिसके चलते ग्रामीणों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। फिलहाल प्रशासन द्वारा कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की गई है। क्षेत्र के लोगों ने कम से कम फिलहाल के लिए अस्थाई पुल बनवाने की मांग की है।
बगल में पुलिस चौकी, गुजरते हैं भारी वाहन
अंग्रेजों के जमाने का यह पुल दशकों से जर्जर हालत में था। इस्तेमाल इसलिए किया जा रहा था, क्योंकि कोई विकल्प नहीं था। पुल की बराबर में पुलिस चौकी बनी हुई है। बावजूद इसके इस पुल से भारी वाहन निकलने दिए जाते थे। पुलिस भारी वाहनों को रोकना भी जरूरी नहीं समझती। जिसका नतीजा यह हुआ कि एक भारी वाहन पुल को ले बैठा।
पीएम आगमन के समय भी उठी थी पुल निर्माण की मांग
सलावा समेत ठाकुर चौबीसी के दर्जनों गांव इस पुल से होकर गंगनहर पटरी व अन्य के लिए जाते हैं। पुल दशकों से जर्जर हालत में था। करीब एक वर्ष पूर्व खेल विश्वविद्यालय के शिलान्यास पर पीएम मोदी के आगमन पर भी क्षेत्र के लोगों ने पुल निर्माण की मांग उठाई थी। मगर अधिकारियों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। जिसका नतीजा यह है कि आज यह पुल धराशाई हो गया।
दरअसल, सलावा झाल के पास ही पानी से बिजली बनाने के लिए बड़ी टरबाइन लगी हुई हैं। अंग्रेजी हुकूमत में ही यह विशाल बिजलीघर लगाया गया था। बिजलीघर तक पानी पहुंचाने के लिए झाल से पहले गंगनहर को काटकर इस ओर दूसरी नहर बनाई गई थी। गंगनहर पार करने के लिए अंग्रेजों ने एक छोटा पुल बनवाया गया था। झाल और छोटी नहर पर बने दोनों पुल लंबे समय से जर्जर हालत में थे।
झाल पर तो सपा सरकार में नया पुल बना दिया गया था। मगर यह छोटा पुल अभी भी ऐसे ही पड़ा था। क्षेत्र के लोग सालों से नए पुल के निर्माण की मांग कर रहे थे। वर्ष 2022 में दो जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां मेजर ध्यानचंद खेल विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने आए थे। उनके स्वागत के लिए आसपास के क्षेत्र को चमकाया गया था।
तब भी ग्रामीणों ने पुल निर्माण की आवाज उठाई थी। ग्राम प्रधान अजय सोम उर्फ बंटी का कहना है कि तब अधिकारियों ने बोला था कि यूनिवर्सिटी प्रोजेक्ट में ही पुल शामिल है। यूनिवर्सिटी के साथ ही पुल बन जाएगा। यूनिवर्सिटी बनने के इंतजार में ग्रामीण भी शांत बैठ गए। जिसका परिणाम यह आया कि पुल टूट गया और कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं है।