सुरेन्द्र नागर और गौतमबुद्ध नगर जिले का भाजपा में कद बढ़ा

Update: 2023-08-01 12:15 GMT

नोएडा न्यूज़: भाजपा की राजनीति में सुरेन्द्र नागर और गौतमबुद्धनगर जिले का कद बढ़ गया है.पार्टी की केन्द्रीय टीम में राज्यसभा सांसद सुरेन्द्र नागर

को राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी मिली

है.पहले वह प्रदेश उपाध्यक्ष थे।

प्रदेश और केन्द्र में भाजपा संगठन के कई अहम पदों की जिम्मेदारी अब जिले के तीन नेताओं के पास है.प्रदेश संगठन में सतेन्द्र शिशौदिया के पास भाजपा के पश्चिम क्षेत्र के अध्यक्ष और नोएडा विधायक पंकज सिंह के पास प्रदेश उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी है.जबकि, सुरेन्द्र नागर के राष्ट्रीय सचिव बनने से भाजपा में जिले का कद बढ़ गया है.अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले गुर्जर बिरादरी में पैठ के चलते पार्टी ने गुर्जर नेता के रूप में सुरेन्द्र नागर का संगठन में कद बढ़ाया है।

जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान के गुर्जर समुदाय में नागर की अच्छी पकड़ है.सपा से भाजपा में आए सुरेन्द्र नागर को पार्टी ने दो बार राज्यसभा सांसद बनाया है.वह देश के उन छह सांसदों में शामिल हैं, जिन्हें सभापति की गैरमौजूदगी में संसद चलाने का मौका मिलता है.क्षेत्र के किसी नेता को ऐसा सम्मान अभी तक नहीं मिला।

निर्दलीय नेता के रूप में राजनीतिक सफर शुरू हुआ सुरेन्द्र नागर राजनीति में अब एक बड़ा नाम है.बुलंदशहर के गुलावठी कस्बे में जन्मे सुरेन्द्र नागर की राजनीतिक का केन्द्र प्रारम्भ से ही गौतमबुद्धनगर जिला रहा है.उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत 90 के दशक में की थी.1998 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में वह पहली बार स्थानीय निकाय सीट से एमएलसी का चुनाव जीतकर सदन तक पहुंचे.2004 में उन्होंने दोबारा इसी सीट से जीत हासिल की।

2009 में चुनाव से पहले उन्होंने बसपा की सदस्यता ग्रहण की और नए परिसीमन में बनी गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट पर चुनाव जीता, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने सपा का दामन थाम लिया और सपा के राष्ट्रीय सचिव बने.सपा ने वर्ष 2016 में राज्यसभा सांसद भी बनाया.इसके बाद जुलाई 2019 में उन्होंने सपा की राज्यसभा सदस्यता और पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी.भाजपा ने ही उन्हें फिर से राज्यसभा भेजा.इसके बाद भाजपा ने उन्हें लगातार दूसरी बार अपना राज्यसभा सांसद बनाया है.वह पार्टी के प्रदेश संगठन में दो बार प्रदेश उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं।

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