विधानसभा में विधेयक हुआ पेश, संपत्ति के नुकसान की अराजक तत्वों से की जाएगी वसूली

Update: 2022-09-23 16:09 GMT
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से गुरुवार को विधानसभा में लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली संशोधन विधेयक 2022 ध्वनिमत से पारित किया गया है। राज्य में हड़ताल, बंद, दंगा, उपद्रव और विरोध प्रदर्शन के दौरान सरकारी और निजी संपत्ति को हुए नुकसान की वसूली दंगाइयों, उपद्रवियों और प्रदर्शनकारियों से की जाएगी। सार्वजनिक स्थानों पर हिंसात्मक कृत्यों से निपटने और उसकी तीव्रता को नियंत्रित करने, दंगे और उपद्रव के दौरान सरकारी और निजी संपत्ति के नुकसान की वसूली का उपबंध करने और क्षतियों का अन्वेषण कर प्रतिकर वसूली के लिए दावा अधिकरण का गठन करने के लिए उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अधिनियम 2020 लागू किया गया था।
नाबालिग बेटी और महिलाओं के साथ बलात्कार करने वालों को नहीं मिलेगी जमानत
इतना ही नहीं गुरुवार को विधानसभा में नाबालिग बेटियों और महिलाओं को लेकर भी विधेयक पेश किया गया है। नाबालिग बेटियों और महिलाओं के साथ बलात्कार करने वालों को अब अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी। योगी सरकार ने महिला सुरक्षा की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए दंड संहिता प्रक्रिया संहिता (उत्तर प्रदेश संशोधन) 2022 विधेयक विधानसभा में पेश किया। विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया। राज्य सरकार की ओर से गुरुवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में महिलाओं के लिए विशेष सत्र आयोजित किया गया था। इस मौके पर सरकार की ओर से सुबह पहले विधानसभा में दंड प्रक्रिया संहिता (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक 2022 विधानसभा में पुर:स्थापित करने की मंजूरी मांगी। उसके बाद महिलाओं के संबोधन के बाद विधेयक को सदन में रखा गया जिसे ध्वनिमत से पारित किया गया।
साल 2020 में उच्च न्यायालय के आदेश के बाद विधेयक हुआ पेश
उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अधिनियम 2020 लागू करने का मामला उच्च न्यायालय में जाने पर उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अब संशोधित विधेयक पेश किया गया है। इसके अंतर्गत सरकारी या निजी संपत्ति की क्षति, उससे हुई व्यक्तिगत क्षति की वसूली से संबंधित कार्यवाही करने के लिए दावा अधिकरण को कार्यवाहियों के अन्तरण से संबंधित उपबंधों को जैसा है, जहां है के आधार पर शामिल करने, मामलों का स्वप्रेरणा से संज्ञान लेने, हड़ताल, बंद, दंगे, उपद्रव के दौरान क्षतिग्रस्त लोगों के लिए प्रतिकर का उपबंध करने, दावा याचिकाओं को दाखिल करने में विलंब को माफ करने के प्रयोजन से दावा अधिकरण को न्यायिक वैवेकिक शक्ति देने के लिए पूर्व में लागू अधिनियम में संशोधन किया है। मामला उच्च न्यायालय में जाने पर उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अब संशोधित विधेयक पेश किया गया है।
न्यूज़ क्रेडिट: asianetnews
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