बिकरू कांड: विकास दुबे के असलहा लाइसेंस समेत 173 फाइलें कलेक्ट्रेट से गायब, हुई ये कार्यवाही

जानिए पूरा मामला।

Update: 2022-02-08 11:30 GMT

कानपुर: कानपुर के कुख्यात अपराधी विकास दुबे को एनकाउंटर में मरे भले डेढ़ साल हो गए है, लेकिन उसके साथ जुड़े लोगों के काले चिट्टे अभी भी निकल कर सामने आ रहे हैं. कानपुर प्रशासन ने विकास दुबे के सहयोगी रहे असलहा बाबू को बर्खास्त कर दिया. इस बाबू ने विकास दुबे की लाइसेंसी बन्दूक वाली पूरी फ़ाइल ही गायब कर दी.

इतना ही नहीं उसने विकास दुबे के साथ पूर्व मंत्री कमलरानी वरुण और 173 अन्य लोगों की पूरी फाइलें ही गायब कर दी. 2 जुलाई 2020 को विकास दुबे ने अपने अवैध हथियारों के बल अपने बिकरू गांव में एक साथ आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर डाली थी. इसके बाद 10 जुलाई को एनकांउटर में उसे मार गिराया गया था. पुलिस ने जब विकास दुबे की कुंडली खंगाली तो पता चला कि इतने बड़े हिस्ट्रीशीटर के नाम एक बन्दुक का लाइसेंस भी बना है. इसकी फ़ाइल जब तलाश की गई तो विकास दुबे की फाइल वाला पूरा बंडल ही गायब मिला. इस पर प्रशासन ने एक स्पेशल जांच कमेटी बैठा दी.
इस कमेटी की जांच में पाया गया कि 29 फरवरी 2008 को कानपुर के असलहा बाबू विजय कुमार रावत कानपुर देहात मुख्यालय से विकास दुबे की फाइलों वाला बंडल रिसीव करके कानपुर शहर मुख्यलाय लाये थे, लेकिन उसके बाद उस बंडल का कोई पता नहीं चला यानी पूरा का पूरा बंडल ही गायब हो गया. विकास दुबे का 1997 में जब बन्दुक का लाइसेंस बना था. उस समय उनका गांव बिकरू, कानपूर देहात की शवली तहसील से जुड़ा था, लेकिन बाद में ये गांव कानपूर शहर के चौबेपुर तहसील से जुड़ गया, इसीलिए विकास की फ़ाइल कानपुर शहर में भेजी गई थी, लेकिन विजय ने कानपुर लाते-लाते फाइल ही गायब कर दी.
विकास दुबे कांड के बाद जब फाइलें नहीं मिली तब जिला प्रशासन की तरफ से असलहा बाबू वैभव अवस्थी ने एक एफआईआर कोतवाली कानपुर में कराई थी. इसकी जांच में पहले दो असलहा बाबू विनय कुमार और कार्तिकेय यादव पहले ही बर्खास्त हो चुके हैं. अब विजय कुमार रावत को भी बर्खास्त कर दिया गया है.
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