CBI की बड़ी कार्रवाई, अशोक पाठक को किया गिरफ्तार 45 करोड़ की धोखाधड़ी के आरोप
CBI की बड़ी कार्रवाई,
धोखाधड़ी एवं फर्जी दस्तावेज तैयार करने के आरोपी अशोक पाठक को दो मामलों में सीबीआई ने मंगलवार को गिरफ्तार कर विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट स्मृद्धि मिश्रा के समक्ष पेश किया था। अब जेल भेज दिया गया है।
CBI की बड़ी कार्रवाई, 45 करोड़ की धोखाधड़ी के आरोपी अशोक पाठक को किया गिरफ्तार
सीबीआई ने जालसाज अशोक पाठक को गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई ने यह गिरफ्तारी 45 करोड़ की धोखाधड़ी मामले में की है। उन पर वक्फ संपत्ति को धोखे से बेचने का आरोप है। अशोक पाठक पर 2016 में फर्जी हस्ताक्षर से जमीन हड़पने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी। अशोक के खिलाफ 2020 में भी एक मुकदमा दर्ज हो चुका है। बता दें कि धोखाधड़ी एवं फर्जी दस्तावेज तैयार करने के आरोपी अशोक पाठक को दो मामलों में सीबीआई ने मंगलवार को गिरफ्तार कर विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट स्मृद्धि मिश्रा के समक्ष पेश किया था। जहां से उन्हें आगामी 31 मई तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है। वहीं दूसरी ओर आरोपी अशोक पाठक की ओर से उनके अधिवक्ता द्वारा जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया। जिस पर जवाब दाखिल करने के लिए सीबीआई द्वारा समय मांगे जाने के कारण न्यायालय ने जमानत अर्जी पर सुनवाई के लिए आगामी 10 मई की तिथि नियत की है।
आरोपी ने जमानत पर रिहा किए जाने का किया था अनुरोध
आरोपी अशोक पाठक की अग्रिम जमानत अर्जी विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम एवं उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ से खारिज होने के उपरांत सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर अग्रिम जमानत पर रिहा किए जाने का अनुरोध किया गया था। लेकिन उच्चतम न्यायालय ने अशोक पाठक की अनुमति याचिका को गत 10 फरवरी को खारिज करते हुए उन्हें निर्देश दिया था कि वह चार सप्ताह के अंदर अवर न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण करें। लेकिन उनके द्वारा अदालत में समय पर हाजिर न होने पर सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर शनिवार को न्यायालय के समक्ष पेश किया।
ये है पूरा मामला
हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई के उप निरीक्षक अमितोष श्रीवास्तव द्वारा अशोक पाठक एवं अधिवक्ता विनय जीत लाल वर्मा की विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए 4 फरवरी 2020 को सीबीआई की मुख्य शाखा लखनऊ में तहरीर दिया था। अशोक पाठक पर आरोप है कि उन्होंने खुर्शीद आगा की ओर से जिला मजिस्ट्रेट राजशेखर एवं अन्य के विरुद्ध उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के समक्ष अवमानना याचिका दाखिल की थी। कहा गया है कि इस याचिका में अनेकों कूट रचित दस्तावेज शामिल किए गए थे। कहा गया है कि यद्यपि खुर्शीद आगा ने उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की थी परंतु बाद में उस याचिका को वापस ले लिया था। जब खुशीद आगा को पता चला कि उनके नाम से फर्जी एवं कूट रचित दस्तावेज लगाकर अवमानना याचिका दायर की गई है। तब उन्होंने इसकी शिकायत उच्च न्यायालय से की। जिस पर उच्च न्यायालय ने 23 सितंबर 2019 को मामले की सीबीआई से जांच कराने का आदेश दिया था।