Basti: चाइल्ड लाइन में नियुक्ति को लेकर जांच बैठी

पूर्व में कार्यरत रहे कर्मियों ने डीएम से शिकायत की थी

Update: 2024-11-25 06:41 GMT

बस्ती: चाइल्ड लाइन में हुई नियुक्तियों में गड़बड़ी की शिकायत पर निदेशक महिला कल्याण ने जांच बैठा दी है. उन्होंने उप निदेशक महिला कल्याण बस्ती मंडल को जांच कर आख्या देने को कहा है. बताते चलें कि वहां पूर्व में कार्यरत रहे कर्मियों ने डीएम से शिकायत की थी. शिकायत में कहा था कि डूडा की ओर से जिन लोगों का चयन चाइल्ड हेल्पलाइन में नियुक्त किया गया है, वह पूरी तरह से नियमानुसार नहीं है. आरोप था कि प्रभारी डीपीओ व पीओ डूडा ने निदेशक महिला कल्याण की ओर से इस संबंध में जारी पत्र की अनदेखी की है.

शिकायतकर्ताओं ने कहा था कि पूर्व में कार्यरत रहे कर्मियों को पहले से ही वहां की गतिविधियों के संबंध में जानकारी है. यही उम्मीद थी कि उन्हें ही पुन रखा जाएगा. उनके अनुभव का विभाग को लाभ मिलेगा. चाइल्ड लाइन में काम कर चुके अभिनव कुमार दिए शिकायती पत्र में कहा कि डूडा कार्यालय में 24 सितम्बर को पूर्व कर्मचारियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया. यहां पर उन लोगों पर दबाव बनाया गया और उनके आवेदन में परिवर्तन कर दें. साक्षात्कार के समय भी उन लोगों के साथ धांधलेबाजी की गई. यदि नियुक्ति की जांच हो तो मामला खुल सकता है. शिकायत पत्र डीएम के साथ-साथ ने कड़ा रूख अपनाया है. उन्होंने उप निदेशक बस्ती मंडल को जांच कर आख्या देने के लिए कहा है. जांच के निर्देश की प्रति डीएम और पीओ को भी भेजा है.

किशोरी को देर से प्रस्तुत करने पर विवेचक को फटकार: छावनी पुलिस ने को विक्रमजोत कस्बे के एक स्कूल में लापता हुई किशोरी को बरामद कर लिया. इस मामले में पुलिस ने परिजनों की तहरीर पर छावनी थाने में आठ के खिलाफ केस दर्ज कराया था. लापता किशोरी आरोपी के साथ विक्रमजोत चौकी पर आ गई थी. विवेचक चौकी इंचार्ज रितेश सिंह ने दोनों को हिरासत में लेकर कार्रवाई शुरू की. विवेचक रितेश सिंह लड़की का बयान कराने के लिए सीडब्लूसी न्यायपीठ के सामने प्रस्तुत किया. सीडब्ल्यूसी ने मामले में लड़की से पूछताछ की.

न्यायपीठ चेयरपर्सन प्रेरक मिश्रा ने विवेचक को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि लापता किशोरी एक दिन पहले पुलिस हिरासत में आ गयी तो उसे दूसरे दिन दोपहर के बाद न्याय पीठ के सामने प्रस्तुत किया गया. यह देरी बाल अधिकार का हनन है. इतना हीं नहीं न्याय पीठ को संज्ञान में लिए बिना किशोरी को पहले परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया. लड़की का मेडिकल भी नहीं हुआ, जिसे बाद में मेडिकल के लिए भेजा गया.

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