इलाहाबाद न्यूज़: चौक के नेहरू कॉम्पलेक्स में दो बार आग लग चुकी है. नौ फरवरी 2019 में आग लगी तो फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को मौके पर पानी नहीं मिला. बीते को भी आग लगी तो आग बुझाने को पानी के लिए दमकलों को कार्यालय का 80 चक्कर लगाना पड़ा. आसपास पानी मिल जाता तो आग बुझाने में पांच घंटे नहीं लगते. इतना ज्यादा नुकसान भी नहीं होता.
बताया जा रहा है कि व्यावसायिक भवन निर्माण के समय परिसर के बेसमेंट में 50 हजार लीटर क्षमता का पानी का टैंक बनाया गया था. टैंक को नियमित भरा जाता था. इसी टैंक का पानी मोटर की मदद से भवन की छत पर बनी टंकियों में भेजा जाता था. कुछ साल बाद टैंक में पानी भरना बंद कर दिया गया. धीरे-धीरे टैंक का वजूद समाप्त हो गया. टैंक भरने के लिए लगी मोटरें बंद हो गईं.टैंक का वजूद समाप्त होने के बाद शिरोपरि टंकियां भी सूखने लगीं. टैंक की जगह अब दुकानें बन गई हैं. टैंक का वजूद समाप्त होने के 30 साल बाद व्यावसायिक परिसर में आग लगी. इसके बाद भी कॉम्पलेक्स या इसके आसपास पानी का टैंक लगाने की व्यवस्था नहीं की गई. यही वजह है कि को आग लगी तो पानी के लिए फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को घंटाघर और सिविल लाइंस के बीच चक्कर काटना पड़ा.
बता दें, वर्षों पहले जानसेनगंज की एक इमारत में आग लगी तो भी पानी का संकट हुआ था. फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को पानी के लिए सिविल लाइंस आना पड़ रहा था.
आसपास के नलकूप से भी नहीं ले सकते पानी
नेहरू कॉम्पलेक्स में आग लगने के बाद फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पानी लेने के लिए सिविल लाइंस आ रही थीं. कई लोगों ने सवाल किया कि आखिर नलकूपों से पानी क्यों नहीं लिया जा रहा है. जलकल के महाप्रबंधक कुमार गौरव ने बताया कि नेहरू कॉम्पलेक्स के आसपास तीन नलकूप हैं. सभी नलकूप गलियों में होने के कारण फायर ब्रिगेड के वाहन नहीं जा सकते थे.