बरेली: भारत रत्न महामना पं. मदन मोहन मालवीय भारती भवन के ठीक सामने जिस संकरी गली में किराए पर रहते थे, वहां पर उनके पौत्र न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय अक्सर जाया करते थे.यह उस मिट्टी की खासियत है कि वहां से सौ गज के दायरे में ही तीन महान विभूतियां निकलीं. जिन्हें देश के सर्वोच्च भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.उनमें महामना मदन मोहन मालवीय, राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन और पं. जवाहर लाल नेहरू शामिल थे.
शहर के मिजाज की बखूबी समझ रखने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी बाबा अभय अवस्थी बताते हैं कि राजनैतिक हो या साहित्य, हर क्षेत्र में लोकनाथ से लेकर भारती भवन और कोतवाली तक महान विभूतियों का बचपन बीता था.प्रथम प्रधानमंत्री पं. नेहरू का जन्म लोकनाथ में जिस जगह हुआ था वहां आज झा मार्केट है, जो अतीत में बगीचा था, जहां मोतीलाल नेहरू कच्चे मकान में रहते थे.लाल गली में राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन का जन्म हुआ, जहां अब राजर्षि टंडन महिला महाविद्यालय है, जिसे उन्होंने शैक्षणिक कार्य के लिए दान किया था.जीरो रोड बस अड्डे के पास हरिवंश राय बच्चन का जन्म हुआ था.वहीं, कोतवाली के पीछे कोठी में अकबर इलाहाबादी का बचपन बीता और वहीं पर उनकी मृत्यु हुई थी.उन्होंने मृत्यु से पहले कोठी को शिक्षा के लिए दान किया, जिसे यादगार हुसैनी इंटर कॉलेज के नाम से जाना जाता है.बाबा अभय अवस्थी न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय के निधन से दुखी हैं, उन्होंने कहा कि उनके जाने से प्रयागराज मर्माहत है.वह अक्सर उस मकान में आते रहे, जहां महामना किराए के मकान में रहा करते थे.
फरवरी में लॉ कॉलेज के शताब्दी समारोह में गए थे बीएचयू
महामना के पौत्र और बीएचयू के कुलाधिपति जस्टिस गिरिधर मालवीय आखिरी बार 3 फरवरी-2024 को परिसर में आए थे.इस बार वह कुलाधिपति नहीं बल्कि पूर्व छात्र के तौर पर विधि संकाय पहुंचे थे.संकाय के शताब्दी समारोह में उन्होंने मुख्य भाषण दिया था.संकाय की तरफ से उन्हें प्रो. आनंद जी स्मृति शताब्दी सम्मान से विभूषित किया गया.शताब्दी समारोह के समन्वय डॉ. अनूप कुमार ने बताया कि बीएचयू परिसर में यही उनका आखिरी आगमन था.समारोह में शामिल छात्रों को शुभकामनाएं देने के साथ ही उन्होंने सभी आचार्यों से इच्छा जताई कि विधि संकाय को देश के सबसे बड़े लॉ कॉलेज के रूप में स्थापित करने का यत्न कीजिए.