Bareilly: पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने वाले पति को 10 साल सजा

Update: 2025-01-29 06:07 GMT
Bareilly बरेली । पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने का जुर्म साबित होने पर फास्ट ट्रैक कोर्ट के स्पेशल जज रवि कुमार दिवाकर ने मंगलवार को संजयनगर निवासी विकास उपाध्याय को 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई। उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी डाला। वहीं कोर्ट ने महिलाओं के एक संदेश भी दिया है।
विकास की सास कामिनी सक्सेना ने एडीजी को प्रार्थनापत्र देकर विकास के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। कामिनी के मुताबिक उनकी बेटी वंदना की शादी 6 नवंबर 2011 को विकास उपाध्याय उर्फ विक्की से हुई थी। शादी के बाद वंदना को पता चला कि विकास शराबी होने के साथ जुए और सट्टे का भी शौकीन है। शादी के 12 साल गुजरने के बाद भी विकास और परिजन दहेज के लिए भी अक्सर वंदना से मारपीट करते थे। इस बीच वंदना ने एक बेटे और बेटी भी जन्म दिया था और उनके भविष्य के लिए परेशान रहती थी।
कामिनी के मुताबिक 29 अगस्त 2023 को वंदना ने रात करीब 11ः30 बजे उन्हें फोन कर ससुराल वालों के जान से मार देने की आशंका जताते हुए उसे वहां से ले जाने के लिए कहा। उन्होंने सुबह उसके घर आने का दिलासा देते हुए समझाकर शांत किया लेकिन 30 अगस्त को उसकी मृत्यु की सूचना मिली। उन्होंने वंदना का शव अपने घर लाकर अंतिम संस्कार किया। उसकी ससुराल से कोई भी नहीं आया। बारादरी पुलिस की विवेचना में पता लगा कि वंदना ने पति की प्रताड़ना से तंग आकर खुद फंदे पर लटककर आत्महत्या कर ली। अदालत में आरोप पत्र दाखिल किए जाने के बाद अभियोजन ने आठ गवाह पेश किए थे।
बेटे और बेटी की गवाही पर मिली पिता को सजा
वंदना ने जब आत्महत्या की तो उसका बेटा 10 और बेटी आठ साल की थी। दोनों ने अदालत में दिए बयान में बताया कि उनके पिता विकास ने 29 अगस्त 2023 की रात 11 बजे शराब के नशे में उनकी मां वंदना को बाल पकड़कर लात-घूसों से बुरी तरह पीटा था। वह इससे पहले भी आए दिन उनकी मां को पीटते रहते थे और यह भी कहते थे कि कहीं जाकर मर क्यों नहीं जाती। उनकी मां मानसिक रूप से काफी परेशान रहती थी।
अदालत का संदेश... रात कितनी भी काली हो, सुबह जरूर होती है
जज रवि कुमार दिवाकर ने अपने आदेश में युवाओं और शादीशुदा महिलाओं के लिए एक संदेश भी लिखा। कहा, जीवन में कैसी भी परिस्थितियां आएं, वे उनका डटकर मुकाबला करें। किसी हालत में अपने अनमोल जीवन को समाप्त न करें, क्योंकि जीवन भगवान देता है और उसे किसी को खुद लेने का अधिकार नहीं है। जीवन एक तपस्या है। छोटी-मोटी परेशानी से डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि रात कितनी ही काली क्यों न हो, हर रात के बाद सुबह जरूर होती है। उन्होंने दो कविताओं के जरिए भी जीवन के महत्व को बताया।
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