भुगतान के बावजूद सुविधाओं से वंचित हैं आयुष्मान कार्डधारक

पिछले साल सरकार ने मेडिकल कॉलेज को करीब 90 लाख रुपये का भुगतान किया

Update: 2024-05-16 08:35 GMT

प्रतापगढ़: राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय में आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों के इलाज के लिए बदले पिछले साल सरकार ने मेडिकल कॉलेज को करीब 90 लाख रुपये का भुगतान किया. इसके बावजूद आयुष्मान के मरीजों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. रुपये के पर्चे पर भर्ती हो रहे सामान्य मरीजों के साथ उन्हें भी भर्ती किया जा रहा है. अलग से कोई ऐसी सुविधा उन्हें ऐसी नहीं मिल रही जो उन्हें यह अहसास दिला सके कि उनका इलाज मुफ्त में नहीं बल्कि पांच लाख रुपये के बीमा कवर के तहत हो रहा है.

राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय में 2018 में नेत्र विभाग के सामने वाली बिल्डिंग में आयुष्मान वार्ड खोला गया. उस समय में 2 एसी, पर्दे आदि लगाए गए थे. आयुष्मान वार्ड में ड्यूटी के लिए अलग से स्टॉफ नियुक्त किया गया था. किन्तु कोरोना काल में मची अफरातफरी के दौरान नो एसी हटाकर उसे कोरोना वार्ड बना दिया गया. कोरोना काल खत्म होने के बाद भी एसी का पता नहीं चला. तब से वार्ड की दुर्दशा हो रही है. आयुष्मान वार्ड में कुल मरीज भर्ती थे. उसमें से 2 मरीज आयुष्मान कार्ड धारक थे और मरीज रुपये के पर्चे पर भर्ती होने वाले थे. रूम के बाहर से लगाए जाने वाले लोहे के कूलर वार्ड के भीतर रख दिए गए हैं. भीतर रखे जाने की वजह से उनसे गर्मी कम होने की बजाय उमस बढ़ रही है.

इसलिए मरीज कूलर चलाने नहीं दे रहे. उमस से परेशान होकर कूलर का पीछे वाला पल्ला खोलकर मरीजों ने वार्ड की खिड़की से बांध दिया है. इससे उसमें पानी भी नहीं चलाया जा सकता. छत में लगे पंखे से निकल रही गर्म हवा के नीचे मरीज पसीने से तरबतर हो रहे हैं. वार्ड में पर्दा न लगा होने की वजह से धूल और लू नों प्रवेश कर मरीजों को परेशान कर रहे हैं. नाम न छापने की शर्त पर मरीजों ने बताया कि उन्हें लग ही नहीं रहा है कि उनका इलाज पांच लाख वाली बीमा पॉलिसी के तहत हो रहा है. वार्ड में वाटर कूलर तक नहीं है. इससे मरीज व उनके साथ रहने वाले तीमारदार को झुलसाने वाली इस गर्मी में बहुत परेशानी हो रही है.

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