इलाहाबाद न्यूज़: परिवार में कलह की वजह कई थी. इससे आरिफ की खुन्नस घरवालों के प्रति बढ़ती गई. विधवा बहन नाहिद फात्मा का मायके में रहना उसे पसंद नहीं था. सबसे बड़ी बात तो वह पिता की पेंशन खुद लेना चाहता था, जबकि पिता मो. कादिर पूरे परिवार के बीच रुपये खर्च करते थे. बेटी विधवा है इसलिए वह उसका और बच्चों का खर्च उठाते थे. यह बात आरिफ को पसंद नहीं थी. उसकी नौकरी नहीं लगी थी. ट्यूशन पढ़ा के खर्च उठा रहा है. पत्नी नौशीन को अपने पिता की जगह मृतक आश्रित में गवर्नमेंट प्रेस में नौकरी मिली है. नौकरी वाली पत्नी मिलने के बाद आरिफ की खुन्नस अपने परिवार के प्रति बढ़ती गई.
मो. कादिर मूल रूप से करछना के रहने वाले हैं. नौकरी के दौरान उन्होंने करेली में मकान बनवाया और परिवार लेकर शिफ्ट हो गए. आरिफ इस मकान से हिस्सा नहीं छोड़ना चाहता था. इसलिए वह चाहता था कि उसके मकान के हिस्से को अलग कर दिया जाए. करछना की पुश्तैनी जमीन को लेकर भी वह पिता से खुन्नस खाया हुआ था.
मकान के बंटवारे या बेचने की जिद
बताया गया कि झगड़ा मकान को लेकर था. दो मंजिला मकान में नीचे आरिफ अपने परिवार संग रहता था. पीछे के हिस्से में माता-पिता और विधवा बहन अपने बेटे के साथ रहती हैं. ऊपर के हिस्से में आरिफ का बड़ा भाई मो. आजम परिवार संग रहता है. आरिफ परिवार से अलग रहना चाहता था, ताकि रास्ता आदि सब अलग हो जाए. बंटवारे की जिद न पूरी होने पर वह मकान बेचकर हिस्सा देने की जिद पर अड़ा था. माता-पिता इसके लिए तैयार नहीं थे.