एप्रोच रोड निर्माण को पथरा गई आंखें, किसानों में आक्रोश

Update: 2022-11-12 07:36 GMT

हस्तिनापुर न्यूज़: गंगा नदी के भीकुंड घाट पर लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाई जा रही एप्रोच रोड अब पूरी होती नजर नहीं आ रही है। लगातार हो रहे हादसों और मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद भी विभाग के कानों पर जूं रेंगती नजर नहीं आ रही। गंगा का जलस्तर घटने के बाद भी एप्रोच रोड के निर्माण के लिए ग्रामीणों को इंतजार करना पड़ रहा है। जिससे एप्रोच रोड को लेकर ग्रामीणों की आंखें पथरा गई है, लेकिन एप्रोच रोड धराशाई होने के बाद से हस्तिनापुर से चांदपुर जाने वाले लोगों को बिजनौर होते हुए 110 किमी का लंबा सफर तय करना पड़ रहा है। अगर गंगा पुल चालू हो जाए तो यह दूरी सिर्फ 25 किमी है। गंगा का जलस्तर की बात करें तो जलस्तर घटकर लगातार महज 20 हजार क्यूसेक के आस पास चल रहा है। विभागीय अधिकारी लगातार ठेकेदार पर एप्रोच रोड का कार्य शुरू करने का दबाव डाल रहे हैं, लेकिन ठेकेदार है कि एक दिन कार्य चलाकर बंद कर देता है। जिससे ग्रामीणों के काफी आक्रोश भी ग्रामीणों की माने तो एप्रोच रोड का कार्य शुरू करने के लिए वे अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री योगी तक गुहार लगा चुके हैं, लेकिन नतीजा जस का तस रहा।

लोक निर्माण विभाग के अनुसार एप्रोच रोड को रोकने के लिए गाइडबंध जरूरी है। एप्रोच रोड धराशाई होने के बाद आईआईटी रुड़की से आई टीम ने अध्ययन कर रिपोर्ट में पुल पर गाइडबंध बनाया जाना जरूरी बताया गया था, लेकिन अभी तक गाइडबंध का कोई अता पता नहीं है। जिसका खामियाजा महज गंगा की तलहटी में बसे गाव के लोगों को उठाना पड़ा रहा है।

2007 में शुरू हुआ था पुल निर्माण कार्य: बसपा सरकार ने मेरठ-बिजनौर मुरादाबाद जिलों की सीमा से जुड़े सैकड़ों गांव की दूरी कम करने के लिए 2007 में करोड़ों रुपये खर्च कर गंगा पुल का निर्माण शुरू किया। पुल पर आवागमन शुरू करने के लिए पुल के दोनों तरफ लोक निर्माण विभाग द्वारा एप्रोच रोड का निर्माण भी शुरू किया गया। सड़कों में मापदंडों व नियम कायदों दरकिनार कर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है। लोक निर्माण विभाग के अधिकारी ने ठेकेदारों से मिलीभगत करके बेतहाशा मुनाफा कमा रहे हैं। सड़क निर्माण में बरती गई लापरवाही और निर्माण के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत ग्रामीणों ने की है। सड़क बनाने में घटिया मेटेरियल का उपयोग हुआ है, जो सड़क की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ है। जिसके चलते पुल के दोनों ओर बनाई जा रही चांदपुर की ओर जाने वाली एप्रोच रोड कुछ महीने पूर्व धराशाई हो गई।

बर्बाद हो जाएगी गन्ने की फसल: गंगा की तलहटी में बसे मनोहरपुर गांव निवासी किसान नेता ब्रजभान का कहना है कि एप्रोच रोड टूटने के कारण उनके धान की फसल बर्बाद हो गई है, यदि समय पर एप्रोच रोड का निर्माण पूरा नहीं होता है तो गन्ने की फसल भी कौड़ियों के दाम बेचनी पड़ेगी। इसके बाद भी सरकार का कोई ध्यान नहीं है।

200 रुपये देकर पार करनी पड़ रही गंगा नदी: खेड़ीकलां, बधुआ, मनोहरपुर निवासी गुड्डू शर्मा, प्रियंक राठी आदि का कहना है कि पुल टूटने के साथ ही इन लोगों के गांवों की स्थिति बेहद गंभीर हो गई है। जहां लोगों की चारों ओर धान की फसल बर्बाद हो गई है। वहीं, एप्रोच रोड का निर्माण कार्य पूरा न होने के कारण गंगा पार करने के लिए प्रतिदिन 200 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इसकी शिकायत उन्होंने कई बार डीएम, दीपक मीणा और एसडीएम मवाना अखिलेश यादव के साथ-साथ आलाधिकारियों से की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। यदि जल्द ही एप्रोच रोड का निर्माण कार्य पूरा नहीं होता है तो किसानों को गन्ने की फसल में भी बेहद नुकसान झेलना पड़ेगा।

एक दिन के बाद बंद हो गया एप्रोच रोड का कार्य: हस्तिनापुर-चांदपुर की सीमा को जोड़ने के लिए बनाए जा रहे हाइवे की एप्रोच रोड धराशाई होने के बाद आलाधिकारियों ने रोड का लगातार निरीक्षण किया और लगभग एक सप्ताह पूर्व अधिकारियों के दबाव के चलते लोक निर्माण विभाग द्वारा एप्रोच रोड को दुरुस्त करने का कार्य जोरों शोरों से शुरू किया गया, लेकिन एक दिन बाद ही एप्रोच रोड का कार्य बंद हो गया।

Tags:    

Similar News

-->