ज्ञानवापी में मिले प्रतीक चिन्हों को सुरक्षित रखने की मांग को लेकर अर्जी दाखिल
ज्ञानवापी : ज्ञानवापी और श्रृंगार गौरी से जुड़े मुकदमे की वादिनी राखी सिंह की ओर से जिला जज की अदालत में शुक्रवार को एक प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया। इसमें ज्ञानवापी परिसर में मौजूद चिह्नों को सुरक्षित करने समेत अन्य मांगें की गई हैं। राखी सिंह की ओर से उनके वकील सौरभ तिवारी वाद दाखिल कर इसमें उत्तर प्रदेश सरकार, जिलाधिकारी वाराणसी, पुलिस कमिश्नर, अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद और श्रीकाशी विश्वनाथ ट्रस्ट को प्रतिवादी बनाया है। प्रार्थना पत्र में मांग की गई है कि ज्ञानवापी परिसर में एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान मिले और वर्तमान में चल रहे एएसआइ के सर्वे के दौरान मिले हिंदू धर्म के चिह्नों को तब तक सील व सुरक्षित करने का आदेश जिम्मेदार अधिकारियों को दिया जाए जब तक मुकदमे का फैसला नहीं आ जाता है। इसके साथ ज्ञानवापी में नमाज पढ़ने वालों की संख्या निर्धारित की जाए ताकि हिंदू धर्म के चिह्नों और श्री आदि विश्वेश्वर को नुकसान नहीं हो। वहां मौजूद चिह्नों को नुकसान से बचाने के लिए प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद को ज्ञानवापी में मौजूद इमारत के रंग-रोगन से रोका जाए। अदालत ज्ञानवापी से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए पहले से तय तिथि 17 अगस्त को ही इस प्रार्थना पत्र पर भी सुनवाई करेगी।
ज्ञानवापी परिसर में कब्रों का जिक्र करते हुए उर्स एवं अन्य धार्मिक कार्य करने की मांग को लेकर लोहता के मुख्तार अहमद अंसारी के लंबित वाद की सुनवाई शुक्रवार को टल गई। सुनवाई के लिए अगली तिथि 25 अगस्त तय की गई है। इस मामले में पक्षकारों का जवाब दाखिल करने का अवसर समाप्त करने की मांग वादी पक्ष की ओर से की गई है। सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) कोर्ट में दाखिल मुकदमे में लखनऊ की रंजना अग्निहोत्री, आशीष तिवारी, आशीष कुमार शुक्ला, वाराणसी के पवन कुमार पाठक, राम कुमार जायसवाल ने उक्त वाद में पक्षकार बनाए जाने की अदालत से अपील की थी। इसे अदालत ने स्वीकार किया था।