तनाव से लोगों में चिंता: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह परिसर में भारी सुरक्षा बल तैनात, इलाके में धारा 144 लागू
मथुरा: मथुरा के निवासी आज सुबह जब उठे तो उन्होंने अपने शहर को एक किले के रूप में देखा. खासतौर से कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के आसपास रहने वाले लोगों ने. राज्य सरकार के आदेश पर स्थानीय प्रशासन ने कटरा केशव देव इलाके में तीन लेयर की सुरक्षा कर दी गई है. ये वही इलाका है जहां मथुरा शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर विवाद है.
ये सुरक्षा इसलिए भी अभूतपूर्व है क्योंकि अयोध्या में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद के बावजूद मथुरा में कभी भी सद्भाव नहीं बिगड़ा. लेकिन इस बार कुछ दक्षिणपंथी संगठनों की ओर से धमकी दी गई है कि वो मस्जिद के अंदर हिंदू रीति-रिवाज से पूजा करने जा रहे हैं. इसे देखते हुए आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
शहर को जोड़ने वाले हर नेशनल और स्टेट हाइवे पर पुलिस ने बैरिकेडिंग कर दी है. यहां तक कि मंदिर-मस्जिद के पीछे से गुजरने वाले रेलवे ट्रैक को भी बंद कर दिया गया है. मथुरा वृंदावन आने वालीं दो ट्रेनें भी यार्ड में ही रुकेंगी. धारा-144 लगा दी गई है और लोगों के जुटने पर मनाही है. मंदिर या मस्जिद में जाने वाले लोगों से उनका पहचान पत्र मांगा जा रहा है. सीसीटीवी और ड्रोन के जरिए भी निगरानी की जा रही है.
चार दक्षिणपंथी संगठन अखिल भारत हिंदू महासभा, श्रीकृष्ण जन्मभूमि निर्माण न्यास, नारायणी सेना और श्रीकृष्ण मुक्ति दल ने दिसंबर की शुरुआत में रीति-रिवाज से लड्डू गोपाल की मूर्ति स्थापित करने की अनुमति मांगी थी. इससे हालात बिगड़ने का खतरा और बढ़ गया था. हिंदू संगठनों का दावा है कि जिस जगह पर मस्जिद है, वहीं पर श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था.
मथुरा के एसएसपी गौरव ग्रोवर ने बताया कि शहर में शांति बनाए रखने के लिए पुलिस ओवरटाइम कर रही है. पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स किसी भी कोशिश को रोकने के लिए मौजूद हैं. हमने दोनों पक्षों के बुजुर्गों और धर्मगुरुओं से भी बात की है. जो भी माहौल बिगाड़ने की कोशिश करेगा, उसके खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने के आदेश हैं.
पुलिस ने एहतियात के तौर पर 4 दिसंबर को हिंदू महासभा की जिला अध्यक्ष छाया वर्मा और नेता ऋषि भारद्वाज को गिरफ्तार कर लिया था. हिंदू महासभा की अध्यक्ष राजश्री चौधरी ने दावा किया है कि उनके प्रतीकात्मक कदम को रोकने वाले वीडियो पोस्ट करने के लिए मथुरा प्रशासन की ओर से दबाव बनाया जा रहा है. राजश्री दावा करती हैं कि वो नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पोती हैं. उन्होंने आजतक से कहा कि 6 दिसंबर को मस्जिद तक निकाले जाने वाले मार्च और जलाभिषेक का कार्यक्रम किसी भी कीमत पर नहीं रुकेगा. उन्होंने कहा कि कोई भी उन्हें पूजा करने के अधिकार से वंचित नहीं कर सकता.
वहीं, नारायणी सेना ने भी अपने कार्यकर्ताओं को नजरबंद किए जाने के दावा किया है. संगठन के नेता मनीष यादव ने धमकी दी है कि अगर उनके कार्यकर्ताओं को रिहा नहीं किया जाता तो वो लखनऊ में आमरण अनशन पर बैठेंगे.
सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करने पर कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश मणि त्रिपाठी को भी हिरासत में रखा गया है. कृष्ण जन्मभूमि न्यास के देव मुरारी पर भी कई आपराधिक केस दर्ज हैं. हिंदू संगठनों ने 12 अक्टूबर 1988 को ईदगाह मस्जिद के ट्रस्ट और श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ के बीच हुए समझौते पर सवाल उठाया है.
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के 'मथुरा की बारी है...' वाले ट्वीट ने तनाव को और बढ़ा दिया है. इससे मुस्लिम समुदाय के लोग परेशान हैं. उन्होंने प्रशासन से 'जलाभिषेक' की अनुमति नहीं देने की अपील की है. उनका कहना है कि अगर ऐसा होता है तो पूरे ब्रज में तनाव बढ़ सकता है. हालांकि, पुलिस और स्थानीय अधिकारियों ने भी ऐसा कुछ नहीं होने का भरोसा दिलाया है. आगरा जोन के एडीजी राजीव कृष्णा ने आजतक से कहा कि किसी को भी मथुरा में शांति बिगाड़ने की इजाजत नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा कि अगर कोई भी इसका उल्लंघन करता है तो उससे सख्ती से निपटा जाएगा.
भारी सुरक्षा के बंदोबस्त होने के बावजूद मुस्लिम समुदाय को चिंता है. कई लोगों का मानना है कि आने वाले चुनावों में फायदे के लिए कृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह मस्जिद के विवाद का फायदा उठाने की कोशिश की जा रही है.
पुलिस को इंटेलिजेंस से पता चला है कि हिंदू संगठनों की ओर से धमकियां मिलने के बाद ईदगाह मस्जिद में आने वाले लोगों की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी हो गई है. इसलिए यहां आने वाले से उनका पहचान पत्र दिखाने को कहा जा रहा है.
शाही ईदगाह ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. जेड हसन ने बताया कि मुसलमानों को डर है कि चुनावों से पहले ये सब बांटने के लिए किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि वो 5 दशकों से मथुरा में रह रहे हैं और यहां के लोगों ने भगवान कृष्ण और अल्लाह के आशीर्वाद के साथ रहना सीख लिया है. उन्होंने बताया कि उनके स्कूल की दीवारों पर संस्कृत में श्लोक और कुरान की आयतें लिखी हुईं हैं.
उन्होंने कहा, 'मुसलमानों को डर है कि सांप्रदायिक आग भड़काने की कोशिश की जा रही है. अयोध्या के बाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि का विवाद बढ़ने से आगे और भी रास्ते खुल जाएंगे. डर है कि अगला नंबर फतेहपुर सीकरी या आगरा की मस्जिद या कहीं और के धर्मस्थल का हो सकता है. इसलिए ज्यादा से ज्यादा लोग अब मस्जिद आ रहे हैं.'
ईदगाह ट्रस्ट के अन्य सदस्यों का कहना है कि वो कानूनी लड़ाई की भी तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि 1991 के कानून से मथुरा और काशी अछूती है. 1991 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने एक कानून पास किया था जिसकी धारा 4 उन सभी धार्मिक स्थलों को संरक्षण देती है जो 15 अगस्त 1947 तक अस्तित्व में थीं. इसमें काशी और मथुरा भी आती है. इस कानून में ये भी प्रावधान है कि अगर कोई इन धार्मिक स्थलों में बदलाव करने के लिए कोर्ट भी नहीं जा सकता.
इस मामले में कई स्थानीय लोगों और धर्मगुरुओं से बात की. ज्यादातर लोग मानते हैं कि अयोध्या में जो हुआ और मथुरा में जो होने जा रहा है, वो एक जैसा ही है. मथुरा कॉलेज में एक सीनियर लेक्चरर ने बताया, 'अयोध्या के मामले में बाबर का नाम था और मथुरा के मामले में औरंगजेब का. अयोध्या में 1949 में मस्जिद के अंदर रामलला की मूर्ति रख दी गई थी और अब कुछ हिंदू संगठन मथुरा में मस्दिद के अंदर श्री कृष्ण की मूर्ति रखना चाहते हैं. मुस्लिमों ने अयोध्या गंवा दी और उन्हें विवादित जगह से दूर जमीन दी गई. मथुरा में 84 कोस के बाहर जमीन देने का प्रस्ताव है.'
मथुरा की संकरी गलियों में कई मैनुफैक्चरिंग यूनिट हैं. यहां 45 वर्षीय पप्पू जो एक मुस्लिम हैं, सालों से लड्डू गोपाल के लिए मुकुट बनाने का काम कर रहे हैं. उनके बनाए मुकुट मथुरा और वृंदावन में जगह-जगह पहुंचते हैं. उन्होंने कहा, 'हर साल जन्माष्टमी पर मुकुट बदलता है. मैं सालों से मुकुट दे रहा हूं. मैं छोटे से छोटे और बड़े से बड़े लड्डू गोपाल के लिए मुकुट बना सकता हूं. लेकिन अगर कोई मुझसे कहेगा तो मैं अपनी मस्जिद कैसे दे सकता हूं. हम चाहते हैं कि बाहरी लोग हमें वैसे ही जीने दें, जैसे हम जी रहे हैं.'
यहां बड़े कारोबारियों को भी डर सता रहा है. अयोध्या में सालों तक अशांति और कर्फ्यू ने वहां के कारोबार को बढ़ने नहीं दिया. लेकिन दिल्ली से 150 किमी और आगरा से 50 किमी दूर मथुरा कारोबार और पर्यटन का बड़ा हब है. ओल्ड मथुरा के रहने वाले एक मुस्लिम कारोबारी ने कहा कि दोनों समुदाय यहां आने वाले श्रीकृष्ण भक्तों पर काफी हद तक निर्भर हैं. उन्होंने कहा कि मुस्लिम अल्लाह की इबादत करते हैं और हिंदू भगवान का सम्मान करते हैं.
बृजवासी स्वीट्स के मालिक राजीव बृजवासी ने कहा, 'हमने पेड़ा बेचने से एक स्टोर की शुरुआत की थी और आज 8 आउटलेट और 4 होटल के मालिक बन गए हैं. मथुरा के लोग किसी रूढ़िवादिता का समर्थन नहीं करते. अगर अयोध्या की तरह मथुरा बनती है तो इससे कारोबार को बहुत नुकसान होगा.'