मदरसोें में स्कॉलरशिप के नाम पर घोरखधंधे का आरोप, अल्पसंख्यक आयोग में पहुंची शिकायत

Update: 2022-11-10 08:32 GMT

मेरठ न्यूज़: योगी सरकार के आदेश मेरठ में हवा हवाई साबित हुए। शासनादेश के साथ मेरठ में खिलवाड़ हुआ। योगी सरकार की मंशा से परे मेरठ में मदरसों की जांच के नाम पर खुलकर खेल खेला गया। यह तमाम आरोप सामने आए हैं मदरसों पर काम करने वाली एक प्राइवेट संस्था की जांच रिपोर्ट में। उक्त संस्था ने अपनी शिकायत अल्पसंख्यक आयोग में दर्ज करा दी है। इस जांच रिपोर्ट के आधार पर मेरठ के प्रभारी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी से लेकर उनके कार्यालय में तैनात अन्य कर्मचारी भी कठघरे में आ गए हैं। शिकायत आयोग में पहुंचने के बाद विभाग में खलबली मची हुई है। दरअसल, भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाने वाली अल खिदमत फाउंडेशन के निशाने पर मेरठ के कई फर्जी मदरसे हैं। आरोप है कि इन फर्जी मदरसों के दम पर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कार्यालय फल फूल रहा है। फाउंडेशन चलाने वाले तनसीर अहमद एडवोकेट का आरोप है कि मेरठ में मदरसा सर्वे के नाम पर खेल हुआ है। उन्होनें सवाल उठाया कि अगर मेरठ में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे पारदर्शी आधार पर किया तो फिर रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की गई। इसके अलावा फाउंडेशन ने यह भी आरोप लगाया कि सर्वे के दौरान जो मदरसे मानकोें के विपरीत चलते पाए गए उनसे सेटिंग गेटिंग का खुलकर खेल हो रहा है, साथ ही साथ यह भी आरोप लगा है कि जो मदरसे पोर्टल पर पंजीकृत नहीं हैं उनको भी आईडी पासवर्ड उपलब्ध कराकर छात्रवृत्ति आवेदन पत्र भरवाए जा रहे हैं। इस पूरे मामले में प्रभारी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और उनके कार्यालय के एक कम्प्यूटर आॅपरेटर को कठघरे में खड़ा करते हुए पूरे मामले से अल्पसंख्यक आयोग को अवगत करा दिया गया है।

अक्सर विवादों में रहता है डीएमओ कार्यालय: मदरसों के सर्वे के नाम पर योगी सरकार के आदेशों को पलीता लगाने का मामला हो या फिर छात्रवृत्ति घोटाला। मेरठ का डीएमओ कार्यालय अक्सर सुर्खियों में रहता है। पूर्व में भी इस कार्यालय पर छात्रवृत्ति घोटाले के आरोप लगते रहे हैं। विभिन्न मदरसों के शिक्षक एवं शिक्षिकाएं भी कई बार शासन प्रशासन के आला अधिकारियों से अपने उत्पीड़न एवं विभाग में फैले भ्रष्टाचर की शिकायतें दर्ज करा चुके हैं। इन शिकायतों के आधार पर कई बार शासन ने संबधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की है। इन सब के बावजूद डीएमओ कार्यालय पर अभी भी अंगुलियां उठ रही हैं।

कई मदरसे चाहते थे कि न हो सर्वे: जिस समय योगी सरकार ने गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे का आदेश दिया तभी से कई हवा हवाई मदरसा संचालकों के चहरों की हवाईयां उड़ गई थीं। जिन मदरसों में आॅडिट से लेकर अन्य कमियां थीं उनके संचालक भी नहीं चाहते थे कि मदरसों का सर्वे हो। सूत्रों के अनुसार मेरठ के कुछ बड़े मदरसों के संचालकों ने जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कार्यालय पर शुरु में ही इस बात के लिए दबाव बनाने की कोशिश की गई कि यह सर्वे 'मदरसा संचालकों के हिसाब' से हो और यहीं से ही सर्वे के नाम पर खेल शुरु हो गया। यह भी पता चला है कि मेरठ में जो तीन सदस्यीय जांच समिति बनाई गई थी वो कई बड़े मदरसों तक में पहुंची ही नहीं। कुल मिलाकर मेरठ में मदरसों का सर्वे तो जैसे-तैसे हो गया, लेकिन यह अपने पीछे कई सवाल छोड़ गया।

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