इलाहाबाद: गरीब महिलाओं के चेहरे पर खुशी लाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से उज्ज्वला योजना शुरू की गई. इस योजना की लाभार्थियों का दोबारा सिलेंडर न भराने पाने की वजह महंगाई नहीं, बल्कि प्राथमिकता न होना है. इसके अलावा लाभार्थियों में पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूता का आभाव भी है. यह तथ्य झूंसी स्थित गोविंद बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अर्चना सिंह के अध्ययन में सामने आया है.
यह अध्ययन नेशनल बुक ट्रस्ट की ओर से प्रकाशित पॉलिसीस फॉर दा पुवर का एक हिस्सा बना है. इस पुस्तक में कई योजनाओं पर अध्ययन शामिल है. डॉ. अर्चना सिंह ने बताया कि भारत सरकार की कल्याणकारी योजनाओं पर अध्ययन हुआ. इसमें उज्ज्वला योजना पर अध्ययन के लिए प्रयागराज के करछना में कैथी, भगवानपुर, कौंधियारा के हथिगनी और पवार, सोरांव के बधिया, गोहरी, सहसों के थानापुर, बेजाही, भगवतपुर और बिसौना के लगभग तीन सौ लाभार्थियों से बात हुई. बकौल डॉ. सिंह इसमें 150 लाभार्थी ऐसे रहे जिन्होंने पिछले छह महीने में न्यूनतम तीन बार सिलेंडर भराए थे. वह लाभार्थी जीविकोपार्जन के लिए छोटी-छोटी आर्थिक गतिविधियों से जुड़े हैं. वहीं 150 ऐसे लाभार्थी भी थे जिन्होंने एक बार के बाद दोबारा सिलेंडर नहीं भराया. जिन्होंने दोबारा सिलेंडर नहीं भराया उन्होंने बताया कि महंगाई नहीं, बल्कि गैस की प्राथमिकता परिवार में नहीं है. साथ ही वह पर्यावरण स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता का आभाव है. इसके वजह से वह दोबारा गैस नहीं भरा रहे हैं. इसके अलावा चूल्हे पर भोजन बनाने को आदत का हिस्सा मानते हैं.