इलाहाबाद HC ने आरोपी को दी बेल, बोले- 'भारतीय संस्कृति में ससुर द्वारा बहू का बलात्कार किया जाना अस्वाभाविक'

उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने बलात्कार (Rape) के आरोपी को गिरफ्तारी से पहले जमानत देते हुए.

Update: 2022-06-01 10:28 GMT

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने बलात्कार (Rape) के आरोपी को गिरफ्तारी से पहले जमानत देते हुए कहा, "हमारी भारतीय संस्कृति में यह काफी अस्वाभाविक है कि एक ससुर (Father-In-Law) किसी अन्य व्यक्ति के साथ अपनी बहू (Daughter-In-Law) का बलात्कार करेगा.आरोपी बाबू खान को अग्रिम जमानत देते हुए जज अजीत सिंह ने कहा, "मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त किए बिना, यह मानते हुए कि समाज में उसकी (आवेदक की) प्रतिष्ठा को चोट पहुँचाने या अपमानित करने के उद्देश्य से आरोप गलत तरीके से लगाया गया हो सकता है, सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर विचार करते हुए अग्रिम जमानत दी जाती है."


कोर्ट ने कहा, "आवेदक की गिरफ्तारी की स्थिति में उसे कुछ शर्तों को पूरा करने पर अग्रिम जमानत पर रिहा किया जाएगा." जानकारी के अनुसार, सहारनपुर (Saharanpur) जिले के जनकपुरी पुलिस स्टेशन में कथित पीड़िता ने अपने ससुर बाबू खान के खिलाफ धारा 376 (बलात्कार) और आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज करवाया था. प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि 1 मार्च 2018 को शाम करीब 6 बजे पीड़िता के ससुर और एक अन्य सह-आरोपी पीड़िता के भाई के घर आए, उस वक्त वह घर में अकेली थी. दोनों ने उसके भाई के ठिकाने के बारे में पूछा. जब पीड़िता ने कहा कि उसका भाई घर पर नहीं है तो उसके ससुर ने गाली-गलौज शुरू कर दी. प्राथमिकी में आगे उल्लेख किया गया कि कथित पीड़िता को उसके ससुर ने बिस्तर पर धकेल दिया और फिर दोनों आरोपियों ने उसके साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की.

कोर्ट की कार्यवाही के दौरान, आरोपी ससुर के वकील ने तर्क दिया कि इस मामले में सह-आरोपी मोहम्मद को कोर्ट ने पहले ही अग्रिम जमानत दे दी है. इस मामले का भी आधार एक ही है, इसलिए आवेदक (ससुर) समानता के आधार पर अग्रिम जमानत का भी हकदार है. वकील ने दलील दी कि आवेदक को पुलिस किसी भी समय गिरफ्तार कर सकती है.


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