Allahabad: एफडीआई नीति में बदलाव के निर्णय को मंजूरी
100 करोड़ के निवेश को माना जाएगा पात्र
इलाहाबाद: सरकार ने एफडीआई नीति में बदलाव करते हुए इसे फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट का रूप दे दिया है. अब एफडीआई के तहत इक्विटी में निवेश करने वाली विदेशी कंपनी के लिए प्रिफरेंश शेयर, डिवेंचर्स, एक्सटर्नल कॉमर्शियल बॉरोइंग, स्टैंड बाई लैटर ऑफ क्रेडिट, लैटर्स ऑफ गारंटी व अन्य डेब्ट सिक्योरिटी भी मान्य होगी.
वित्तमंत्री सुरेश खन्ना ने हुई कैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि कैबिनेट बैठक में एफडीआई एवं फॉर्च्यून 500 कंपनियों के निवेश हेतु प्रोत्साहन नीति-2023 में संशोधन को मंजूरी दे दी. अब ऐसी विदेशी कंपनियां भी प्रदेश में निवेश कर सकेंगी जो इक्विटी के साथ-साथ लोन या किसी अन्य स्रोत से पैसों की व्यवस्था करती हैं. योगी सरकार के इस निर्णय से प्रदेश में विदेशी निवेश के बढ़ने की संभावना है. सुरेश खन्ना ने बताया कि पिछले साल एक को लाई गई फॉरेन डायरेक्टर इन्वेस्टमेंट (एफडीआई) की नीति में अर्हता के लिए निवेश की न्यूनतम सीमा 100 करोड़ रुपये रखी गई है. आरबीआई द्वारा जो एफडीआई की परिभाषा दी गई है, उसके अनुसार अभी तक मात्र इक्विटी में किए गए निवेश को ही एफडीआई में सम्मिलित किया जाता है.
यह निर्णय भी हुए
● सहकारी समितियां एवं पंचायत लेखा परीक्षा, उ०प्र०, लखनऊ का त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-19 को मंजूर किया गया. यह विधानमंडल सत्र में पटल पर रखा जाएगा.
● खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में मूल्य समर्थन योजना के तहत धान क्रय के लिए सहकारिता विभाग के नियंत्रणाधीन उप्र कोआपरेटिव फेडरेशन लि(पीसीएफ) उ०प्र० कोआपरेटिव यूनियन लि० (पीसीयू) एवं उप्र उपभोक्ता सहकारी संघ लि (यूपीएसएस) को राष्ट्रीयकृत बैंक से अल्पकालिक ऋण लिए जाने की शासकीय गारण्टी मंजूर कर ली गई.
सुरेश खन्ना ने बताया कि अब इस नीति को फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट, फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट एंड फॉर्च्यून ग्लोबल 500 एंड फॉर्च्यून इंडिया 500 इन्वेस्टमेंट प्रमोशन पॉलिसी 2023 कहा जाएगा. इसके अतिरिक्त, अन्य मोड जो आरबीआई के द्वारा फ्रेमवर्क ऑन एक्सटर्नल कॉमर्शियल बॉरोइंग, ट्रेड क्रेडिट, स्ट्रक्चर्ड ऑब्लीगेशंस के तहत किए गए 100 करोड़ के विदेशी निवेश की गणना के लिए अर्ह होंगे. विदेशी निवेशक कंपनी द्वारा की गई फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट राशि (जिसमें इक्विटी में न्यूनतम 10 प्रतिशत तथा शेष ऋण व अन्य इंस्ट्रूमेंट के माध्यम से मिलाकर 100 करोड़ रुपये का निवेश) को इस नीति के तहत पात्र माना जाएगा तथा पूंजी निवेश की गणना में सम्मिलित किया जाएगा.