Allahabad: नैनी सेंट्रल जेल के 20 कैदी पिछले दस वर्षों में फरार हो चुके

12 पुलिस को चकमा देकर फरार हुए

Update: 2024-08-13 03:24 GMT

इलाहाबाद: 237 एकड़ में फैली सेंट्रल जेल नैनी अंग्रेजों के जमाने में 1869 में बनकर तैयार हुई. इस जेल से भागने वाला सिर्फ सजायाफ्ता कैदी कालीचरण उर्फ बऊवा ही नहीं, बल्कि 2014 से अब तक कुल 20 कैदी फरार हो चुके है. इनमें आठ कारागार की अभिरक्षा से भागे तो वहीं 12 पुलिस को चकमा देकर फरार हुए. इनमें से आधा दर्जन से अधिक को पकड़ा जा चुका है, जबकि कई अब भी फरार हैं.

इनमें से सबसे लंबी फरारी काटने वाला गैंगरेप का सिद्धदोष बंदी राजू बसोर है जो कि महोबा के टोला सोयम थाना चरखारी का रहने वाला है. राजू बसोर 29 2018 को फरार हुआ था. उसे पकड़ने के लिए भी महोबा और प्रयागराज की टीम लगाई गई थी और लगभग 20 महीने बाद उसे एसटीएफ ने पकड़कर दोबारा नैनी जेल भेजा था.

आधा हो चुके हैं दोबारा गिरफ्तार

2014 से अब तक फरार हुए कैदी

भानु प्रताप दूबे, राज कुमार सोनी, सुरेन्द्र वर्मा, मो. फिरोज, अखिलेश कुमार मिश्रा, अम्बुज तिवारी, अतुल पासी, युवराज, जावेद उर्फ वसीम, सन्तोष कुमार सिंह, नन्द किशोर विश्वकर्मा, बादशाह उर्फ रियाज अहमद, सलीम नट, प्रीतम कुमार मिश्रा, राजू बसोर, प्रिन्स अग्रवाल, भगन्ते उर्फ छग्गन, सुशील, दीपक पाल, कालीचरन.

● सिद्धदोष कैदी राजू बसोर 20 2018 को जेल अभिरक्षा से फरार हुआ और 20 नंवबर 2020 को पकड़ा गया.

● प्रिन्स अग्रवाल 07 अक्तूबर 2018 को जेल अभिरक्षा से फरार हुआ जिसे 11 सितंबर 2019 को गिरफ्तार किया गया.

● भगन्ते उर्फ छग्गन 11 जनवरी 2019 को जेल अभिरक्षा से फरार हुआ और 28 जून 2019 को पकड़ा गया.

● सुशील 05 सितंबर 2020 को पुलिस अभिरक्षा से फरार हुआ और एक दिन बाद ही 06 सिंतबर 2020 को गिरफ्तार किया गया.

● विचाराधीन बंदी दीपक पाल 22 मई 2022 को एसआरएन अस्पताल से फरार हुआ जो 08 जून 2022 को पकड़ा गया.

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