Aligarh: बंटवारे के बाद में पैदा हुआ था अल्पसंख्यक स्वरूप विवाद: इतिहासकार
अल्पसंख्यक स्वरूप का विषय तो आजाद भारत के संविधान में लाया गया
अलीगढ़: देश के प्रसिद्ध इतिहासकार एएमयू के प्रोफेसर एमरेट्स इरफान हबीब का कहना है कि एएमयू स्थापना के समय अल्पसंख्यक स्वरूप के आधार पर नहीं, बल्कि कम्युनिटी के आधार पर स्थापित किया गया. इसके अल्पसंख्यक स्वरूप का विषय तो आजाद भारत के संविधान में लाया गया. इसके बाद विवाद पैदा हुआ.
हिंदुस्तान से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन काल में सरसैयद अहमद खां की सोच के अनुसार सोसाइटी की मांग पर इसे बीएचयू के एक्ट के आधार पर स्थापित करने की मंजूरी दी गई. जो एक्ट बीएचयू के लिए बनाया गया था उसी एक्ट में बस बनारस हिंदू शब्द हटाकर अलीगढ़ मुस्लिम शब्द जोड़कर एक्ट यहां लागू किया गया. क्योंकि उस समय कम्युनिटी के आधार पर इन विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई थी. हां, 1951 में संविधान लागू होने पर बदलाव किए गए. वे बदलाव दोनों विश्वविद्यालयों पर लागू हुए. बीएचयू को हिंदुज्म में महत्व मिला. एएमयू को इस्लाम में महत्व नहीं मिल पाया. दोनों के एक्ट एक समान हैं. दोनों को बराबर का दर्जा है. देश के बंटवारे के बाद आजाद भारत का संविधान बनने पर जब मायनोरिटी शब्द लाया गया, तब उसे लागू किया गया और उसके बाद से ही विषय आज तक चला आ रहा है. जरूरत तो है यहां बेहतर पढ़ाई हो. जो पहले होती थी, अब नहीं होती. जरूरत है इस शिक्षण संस्थान को दुनिया के मौजूदा स्टैंडर्ड के बराबर बनाए जाने की. मगर अब अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि कक्षाएं खाली रहती हैं. क्या फायदा संस्थान को ऐसी तरक्की देने का. बाकी फैसले पर उन्होंने कुछ भी बोलने से यह कहकर इंकार कर दिया कि वे कानून पर क्या बोलेंगे
विवेकानंद कॉलेज में वाद विवाद प्रतियोगिता: मंडल स्तर पर विवेकानंद कॉलेज आफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट को अलीगढ़ मंडल की प्रतियोगिता कराने की जिम्मेदारी दी गई, मंडल के 75 उच्च शिक्षण संस्थाओं ने इस प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया. प्रतियोगिता में डॉ मृदुला सिंह एवं डॉ आभा शर्मा ने जज का कार्यभार संभाला. मुख्य अतिथि शेखर बहुगुणा रहे चेयमैन एडवोकेट अनिल सारस्वत ने विचा ररखे. प्रथम स्थान वंशिका राघव, द्वितीय स्थान युक्ति एवं तृतीय स्थान दीक्षा कौशिक ने प्राप्त किया.