Aligarh:: जमीन फर्जीवाड़े में दो सेवानिवृत अभिलेखों के खिलाफ थाना अतरौली में मुकदमा दर्ज

गोदामों में भंडारित चीनी के भौतिक सत्यापन व जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया

Update: 2024-07-01 05:10 GMT

अलीगढ़: जमीन फर्जीवाड़े में दो सेवानिवृत अभिलेखों के खिलाफ थाना अतरौली में मुकदमा दर्ज किया गया है. बीते दिनों डीएम ने मामले की जांच रिपोर्ट के आधार पर मुकदमे के आदेश दिए थे. अब राजस्व निरीक्षक के स्तर से एफआईआर दर्ज कराई गई है.

राजस्व निरीक्षक तनवीर अली की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर के अनुसार प्रेमचन्द्र तत्कालीन लेखपाल तहसील अतरौली (सेवानिवृत्त) निवासी ग्राम अमरौली थाना जवां तहसील गभाना ने तैनाती के दौरान पट्टी नजफ खां (अन्दर चुंगी) नॉन जेड ए की खतौनी बनाते समय गाटा संख्या 10 रकवा 0.069 हे. पर साहब सिंह लोधी पुत्र बाबूराम निवासी मो. सरायवली का नाम मुहाल मुन्जफ्ता खेवट द्वितीय भाग श्रेणी-2 में अंकित करते समय भूलेख नियमावली का अनुसरण नहीं किया. जिसके लिये वह दोषी है. प्रेमचन्द्र लेखपाल तहसील अतरौली से स्थानांतरित होकर तहसील इगलास गए और वहां से दिनांक 30.11.21 को सेवानिवृत्त हो चुके है.

वहीं पट्टी नजफ खां (अन्दर चुंगी) नॉन जेड ए की खतौनी के मुहाल तहब्वर अली खां खेवट संख्या-एक, खाता संख्या-तीन, गाटा संख्या-278 रकबा, 0.1 हेक्टे. पर साहब सिंह पुत्र बाबूराम का नाम बतौर अवैध कब्जेदार श्रेणी-10 (अ) में अंकित है. यहां तत्कालीन लेखपाल अतरौली नरेन्द्र होल्कर द्वारा भूलेख नियमावली में निर्दिष्ट प्रावधानों का अनुसरण नहीं किया. वहीं अनियमित रुप से नॉन जेड ए के खसरा संख्या 278 रकवा 0.1 हे. पर खसरा 1422 फसली व खतौनी 1423 फसली में साहब सिंह का नाम इन्द्राज अनियमित रुप से किया है. जिसके लिये वह दोषी है. लेखपाल नरेन्द्र होल्कर तहसील अतरौली से स्थानांतरित होकर तहसील कोल गए, जहां से दिनांक 31.12. को राजस्व निरीक्षक पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं.

दि किसान सहकारी साथा चीनी मिल में चीनी घोटाले की जड़ें काफी गहरी हैं. अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मिल में से 24 तक नौ सालों में चीनी गोदाम का भौतिक सत्यापन नहीं किया गया. इन नौ वर्षों में कितनी चीनी गोदाम से ठिकाने लगा दी गई. इसकी भी जांच में अधिकारी जुटे हुए हैं. अब तक इस मामले में दो गोदाम कीपर व एक अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.

साथा चीनी मिल के जीएम के स्तर से मिल के गोदामों में भंडारित चीनी के भौतिक सत्यापन व जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया. कमेटी ने प्रभारी शुगर गोदाम कीपर महीपाल सिंह व गोदाम कीपर गुलाब सिंह से स्पष्टीकरण मांगा गया. जिसमें दोनों के जवाब ही विरोधाभासी सामने आए. वहीं कमेटी को दोनों का ही स्पष्टीकरण संतोषजनक प्रतीत नहीं हुआ.

गुलाब सिंह, मैन्योर गोदाम कीपर (सीजनल) को उनके अनुरोध पर वर्ष को शुगर गोदाम में तैनात किया गया था. 30 को पूर्ववर्ती गोदाम कीपर की सेवानिवृत्ति के बाद अब तक गुलाब सिंह ही प्रभारी गोदाम कीपर का कार्य कर रहे हैं. जिन्हें लगभग नौ वर्ष हो गए हैं.

पिछले नौ वर्षों में गुलाब सिंह के द्वारा वर्ष के बाद से कभी भी शुगर गोदाम कीपर के रूप में गोदाम के भौतिक सत्यापन के लिए अपनी ओर से कोई प्रयास किया गया हो, तो ऐसा कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है.

स्पष्टीकरण में गुलाब सिंह ने उल्लेख किया है कि चीनी स्टॉक पूर्ववर्ती गोदाम कीपर के समय से कम है. जबकि इसकी सूचना गोदाम कीपर के द्वारा सक्षम अधिकारियों को समय रहते नहीं दी गई.

स्पष्टीकरण में यह भी उल्लेख है कि गोदाम की छतों की हालत खराब होने के कारण वर्षा से चीनी स्टॉक में कमी हुई है. स्पष्टीकरण में परस्पर विरोधाभासी तर्क प्रस्तुत किए गए हैं, जहां एक ओर पूर्ववर्ती गोदाम कीपर के द्वारा अनियमितता किए जाने का उल्लेख है. वहीं दूसरी ओर छतों की हालत खराब बताई गई है. जबकि अपने स्वयं के उत्तरदायित्व निर्वहन के स्तर पर मौन हैं.

गुलाब सिंह अपने कार्यकाल के नौ वर्षों में शुगर गोदामों में चीन के रखरखाव को व्यवस्थित नहीं कर सके.

अभिलेखों में जनवरी-24 में आरजी-1 रजिस्टर में वर्षों व जानवरों के द्वारा नुकसान का बहाना कर चीनी स्टॉक कम दर्शाया गया. जबकि इस दौरान वर्षा होने व शुगर गोदाम कीपर के द्वारा वर्षा से क्षति होने की कोई सूचना फरवरी-24 व माह मार्च-24 में सक्षम अधिकारियों के संज्ञान में लाकर कोई कार्यवाही किए जाने का साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया. किसी भी प्रकार की चोरी होने का भी कोई प्रमाण नहीं मिला है.

जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि चीनी का भंडारण, रख-रखाव मानकों के अनुरूप सुनिश्चित नहीं किया गया. दोनों कर्मचारियों ने अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ मिलकर चीनी मिल को अपने निजी स्वार्थवश क्षति पहुंचाई गई.

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