कानपूर न्यूज़: लिवर को हेपेटाइटिस से उतना खतरा नहीं, जितना शराब से है. एक स्टडी के मुताबिक लिवर के गंभीर रोगियों में हेपेटाइटिस बी और सी से ग्रस्त केवल 16 प्रतिशत हैं जबकि शराब ने 76 प्रतिशत लोगों के लिवर तबाह कर दिए. एक बार क्रॉनिक लिवर डिजीज हुई तो पूरी तरह से स्वस्थ होने की संभावना कम ही रहती है.
लगभग दो साल तक चले अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग ने निकाला है. अध्ययन दिसंबर 2020 से अक्तूबर 2022 के बीच 200 क्रॉनिक लिवर डिजीज के मरीजों पर किया गया जो 18 से 60 साल के बीच के थे.
स्टडी के परिणाम ने डॉक्टरों को भी चौंका दिया है. अभी तक यह मिथ रहा है कि हेपेटाइटिस जैसे संक्रमण लिवर को सबसे ज्यादा चोट पहुंचाते हैं लेकिन अध्ययन में पता चला कि 76 प्रतिशत गंभीर रोगियों को हेपेटाइटिस नहीं, बल्कि शराब ने शिकार बनाया. क्रॉनिक लिवर डिजीज सबसे ज्यादा 31 से 50 साल की उम्र में हो रही है.
ऐसे किया अध्ययन इन मरीजों का चाइल्ड पुग स्कोर के साथ लिपिड सीरम प्रोफाइल तैयार किया गया. डाटा आकलन के लिए एसपीएसस वर्जन 20.0 का सहारा लिया. ची-स्क्वॉयर टेस्ट के साथ सीटीपी स्कोरिंग भी की गई.
बीमारियों से क्रॉनिक लिवर रोग
● 76 प्रतिशत को शराब से
● 10 प्रतिशत को हेपेटाइटिस-बी से
● 06 प्रतिशत को हेपेटाइटिस-सी से
● 05.50 प्रतिशत को क्रिप्टोजनिक सिरोसिस से
● 01.50 प्रतिशत को बडचेरी सिंड्रोम से
● 01.00 प्रतिशत को विल्सन और एनसीपीएफ से
किस उम्र में कितना खतरा
● 18-30 साल में 07.50 फीसदी
● 31-40 साल में 31 फीसदी
● 41-50 साल में 33 फीसदी
● 51-60 साल में 23.50 फीसदी
● 60 साल से ज्यादा में 05 फीसदी
स्टडी के अन्य निष्कर्ष
● ट्राईग्लिसराइड और गुड कोलेस्ट्रॉल सभी में कम पाया गया
● एलडीएल-वीएलडीएल कोलेस्ट्रॉल भी मानक से कम रिकॉर्ड
स्वस्थ लिवर
फैटी लिवर
सीएलडी
लिवर फाइब्रोसिस
स्टडी के परिणाम चेतावनी दे रहे हैं. लिवर की सेहत के राज खान-पान और जीवनशैली में छिपे हैं, इसलिए नुकसान करने वाली चीजों से परहेज जरूरी है ताकि लिवर खराब होने से बच सके.
- प्रो. ऋचा गिरि, उप प्राचार्य जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज
क्रॉनिक लिवर डिजीज शराब से सबसे ज्यादा हो रही है. हेपेटाइटिस से ज्यादा खराब होने का मिथक टूट गया है. स्टडी इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एडवांसेस इन मेडिसिन में हाल ही में प्रकाशित हई है.
- डॉ. एसके गौतम, प्रोफेसर मेडिसिन विभाग जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज
आंकड़े देख डॉक्टर भी रह गए हैरान