अजय राय बने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष, यूपी में पार्टी को उबारने की मिली जिम्मेदारी

Update: 2023-08-17 16:08 GMT
लखनऊ (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने यूपी में बड़ा फेरबदल किया है। अजय राय को उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष बनाया है। वह दो बार वाराणसी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पत्र जारी कर उनके नाम की घोषणा की। अजय राय के कंधों पर डूबती कांग्रेस को उबारने की जिम्मेदारी है।
सियासी जानकर बताते हैं कि काशी संसदीय सीट से अजय राय ने पीएम मोदी के खिलाफ भी चुनाव लड़ा था। हालांकि, वह चुनाव हार गए थे।
लेकिन, उन्होंने अपनी संघर्ष क्षमता का लोहा मनवाया था। अब कांग्रेस ने ऐसे समय में अजय को कमान सौंपी है, जब कांग्रेस की यूपी में हालत पतली है।
राय से पहले एक दलित चेहरे बृजलाल खाबरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। वह बसपा से कांग्रेस में आए थे। उनके ऊपर दलितों को जोड़ने की जिम्मेदारी थी। लेकिन, वह पार्टी के सामने खरा नहीं उतर सके।
राजनीतिक जानकर बताते हैं कि यूपी में कांग्रेस के पास 80 लोकसभा सीटों में केवल रायबरेली ही एक मात्र सीट है, जहां से कांग्रेस की सांसद सोनिया गांधी हैं।
दूसरी ओर देखें तो यूपी की 403 विधानसभा सीटों में से केवल दो सीटें कांग्रेस के पास हैं। ऐसे में अजय राय को न सिर्फ संगठन मजबूत करना होगा बल्कि उन्हें लोकसभा में कांग्रेस की सीट भी बढ़ानी होगी।
उनकी राजनीति को करीब से जानने वाले लोग बताते हैं कि अजय राय ने अपने करियर की शुरुआत भाजपा से की थी। वह 1996 से लेकर 2009 तक भाजपा से जुड़े रहे। 1996 में वाराणसी के कोलअसला विधानसभा से अजय राय विधायक बने।
इसके बाद अजय राय से यह सीट कोई छीन नहीं पाया। 1996 से 2009 तक लगातार अजय राय यहां से विधायक रहे।
2009 में भाजपा नेताओं से मतभेद होने के चलते अजय राय ने पार्टी छोड़ दी थी।
फिर, वह सपा में रहे। लेकिन, ज्यादा दिनों तक नहीं ठहरे। फिर, निर्दलीय चुनाव लड़ा और पिंडरा से 2009 में विधायक बने।
इसके बाद अजय राय ने कांग्रेस का हाथ पकड़ते हुए पार्टी की सदस्यता ले ली। 2014 के लोकसभा चुनाव में अजय राय नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े थे।
2014 के लोकसभा चुनाव में अजय राय तीसरे स्थान पर आए थे। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में फिर से अजय राय पिंडरा की विधानसभा सीट से खड़े हुए।
लेकिन, यह चुनाव भी अजय राय हार गए। इसके बाद 2019 में फिर से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन वह जीत नहीं सके।
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