बहराइच: फखरपुर और तेजवापुर विकास खंड के गांवों में बुधवार को कृषि विभाग की ओर से खेत में जाकर किसानों को मशीन द्वारा गेहूं बोआई के टिप्स बताए गए। साथ ही कम लागत में कैसे अधिक उपज करें। इसकी भी जानकारी दी गई। फसल अवशेष प्रबंधन कार्यक्रम जिले में चल रहा है। इसके तहत विकास खंड तेजवापुर के ग्राम कटहा, चेतना और मोगलहा तथा विकास खंड फखरपुर मे ग्राम घासीपुर, नन्दवल और कनेरा पर कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक अध्यक्ष डॉ बीपी शाही के दिशा निर्देशन मे केंद्र की मशीनों द्वारा प्रथम पक्तिं प्रदर्शन कर गेहूँ की बुवाई की जा रही है। डॉ बी पी शाही ने बताया की इन ग्राम सभाओ मे अभी तक गेहूं की 50 - 60 प्रतिशत तक बोआई हो चुकी है।
डॉ शैलेन्द्र सिंह ने बताया की अब जिन किसानो को गेहू की बुवाई करनी है। वह देर से बुवाई की जाने वाली किस्मो जैसे डी बी डब्लू 173, एच डी 3271, पी बी डब्लू 373 और न डब्लू 1014 का चयन कर सामान उत्पादन प्राप्त कर सकते है। यह प्रजातियां 115 - 120 दिन मे तैयार हो जाती है। अब किसानो को गेहू की बुवाई के लिए बीज दर 50 किलोग्राम प्रति एकड़ रखनी होगी। डॉ नीरज कुमार सिंह ने बताया की गेहूँ की बुवाई के लिए जीरो टिल फर्टी कम सीड ड्रिल से धान की कटाई के तुरंत बाद नमी की उपयोग करके बिना जुताई हुए खेत में निश्चित गहराई पर खाद एवं बीज लाइनों मे डालें जाते है। इस मशीन से एक ही गहराई पर बीज से अच्छा जमाव होता है। इसमे समय की बचत के साथ साथ 3000-3500 रूपये प्रति एकड की बुवाई की बचत होती है। लाइन की फसल होने के कारण सिचाई, निराई तथा अन्य काम आसानी से हो जाते है।
अक्सर किसानो द्वारा मशीनों का संचालन सही तरीके से न किये जाने के कारण गेहू की बुवाई सही नहीं हो पाती है, अतः इसके लिए किसानो को बुवाई से अपनी मशीनों की सेटिंग करा लेनी चाहिए। जिले मे पराली प्रबंधन में यह आधुनिक कृषि यन्त्र काफी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है। यही कारण है कि सरकार भी कस्टम हायरिंग सेंटरो की संख्या बढ़ा रही है। डॉ पी के सिंह ने कृषको को यह बताया कि गेहूँ की बुवाई के 30-35 दिन बाद सकरी पती वाले खरपतवार नियंत्रण के लिए सल्फोसल्फ्यूरान 75% 13.5 ग्राम को 180 लीटर पानी मे मिला के एक एकड़ मे छिड़काव करे अथवा क्लॉडिनोफॉप 15% 160 ग्राम को 150 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करे।