Agra: कैंट अस्पताल में मरीजों की जेब पर डाका डाला

नंबर से होता है हिसाब-किताब

Update: 2024-11-15 04:59 GMT

आगरा: छावनी परिषद के अस्पताल में इलाज के नाम पर मरीजों की जेब पर डाका डाला जा रहा है. अस्पताल के ही मेडिकल स्टोर से मोनोपाली की दवाएं बेची जा रही हैं. जबकि यह दवाएं छावनी परिषद की सूची में ही नहीं हैं. सरकारी के अलावा अलग से पर्चे का सहारा लिया जाता है.

छावनी के अस्पताल में मोनोपॉली की दवाइयों खुला खेल चल रहा है. मुनाफाखोरी के चक्कर में डॉक्टर और फार्मासिस्ट सरकारी गाइड लाइन के साथ छावनी परिषद के नियमों की भी धज्जियां उड़ा रहे हैं. डॉक्टर इस खेल को बेहद शातिराना अंदाज में अंजाम दे रहे हैं. परामर्श के दौरान डाक्टर दो तरह के पर्चे बनाते हैं. पहला सरकारी होता है, उसमें सरकारी सप्लाई वाली दवाएं लिखी जाती हैं. यह दवाएं अस्पताल की फार्मेसी पर बेहद सस्ती दरों पर मिलती हैं. लेकिन डॉक्टर इन्हें बहुत कम लिखते हैं. वे मरीज को साथ में दूसरी पर्ची या पर्चा देते हैं. इस पर ज्यादा दवाइयां लिखी जाती हैं. इस पर्चे पर लिखी दवाइयां भी उसी फार्मेसी पर मिलती हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि यह दवाएं छावनी अस्पताल को सप्लाई होने वाली दवाइयों की सूची में नहीं हैं. यह बड़े ब्रांड या मोनोपोली वाली दवाइयां हैं. इनकी कीमत फार्मेसी पर मिलने वाली दवाइयों से कई गुना ज्यादा है. हैरत की बात यह है कि इन दवाओं को उसी फार्मेसी से बेचा जा रहा है. विशेष पर्ची मेडिकल स्टोर संचालक अपने पास रख लेते हैं.

नंबर से होता है हिसाब-किताब: डॉक्टर मरीज को दिए जा रहे अतिरिक्त पर्चे पर एक नंबर डाल देते हैं. पर्चे को मेडिकल स्टोर में जमा कर लिया जाता है. जानकारों के मुताबिक पर्चे पर पड़ा नंबर हिसाब-किताब (कमीशन) के लिए होता है. जो ओपीडी खत्म होने के बाद मैच किया जाता है.

किसके कहने पर रखी हैं दवाएं: छावनी परिषद के अस्पताल में संचालित मेडिकल पर विशेष कंपनी की दवाओं की बिक्री को लेकर कई तरह की चर्चा है. जागरूक मरीजों को कहना है कि डाक्टरों और फार्मासिस्टों की आपसी सहमति से इन्हें रखा गया है. मुनाफे का हिस्सा सब में बंटने की चर्चाएं हैं.

छावनी सामान्य अस्पताल में विशेष कंपनी की दवाएं रखने और लिखने का मामला संज्ञान में आया है. मामले की जांच कर जल्द कार्रवाई की जाएगी. -हरीश वर्मा पी, सीईओ छावनी परिषद आगरा.

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