Agra: सामान की ऑनलाइन खरीदारी कहीं पड़ न जाए भारी

लंबे समय से शातिर ऐसा कर रहे

Update: 2024-11-09 05:40 GMT

आगरा; ऑनलाइन, जो दिखता है वही बिकता है. लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि घर पर ‘वही’पहुंचता भी है या नहीं? फ्लिपकार्ट और मिंत्रा जैसी कंपनियों के माल की डिलीवरी में हेराफेरी होती थी. डिब्बों से नए जूते निकालकर उनमें पुराने जूते रख दिए जाते थे. तीन आरोपित पकड़े गए थे. लंबे समय से शातिर ऐसा कर रहे थे. उनकी इस हरकत से न केवल ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी हो रही थी, बल्कि कंपनी को माल देने वाले कारोबारियों को भी भारी नुकसान हो रहा था. कंपनी की साख खराब हो रही थी. त्योहारी सीजन है. इस तरह की धोखाधड़ी किसी भी ग्राहक के साथ हो सकती है. ऐसा होने पर ग्राहक क्या करे.

रोहिल अग्रवाल जूता कारोबारी हैं. वह मिंत्रा और फ्लिपकार्ट को जूते सप्लाई करते थे. कंपनी को मिलने वाले ऑनलाइन ऑर्डर कारोबारी को मिलते थे. उनकी फैक्ट्री से ऑर्डर पैक होकर जाते थे. ई कार्ट कंपनी के डिलीवरी ब्वाय फैक्ट्री से सील बंद माल लेकर जाते थे. एक गोदाम पर डिब्बे खोलकर नए जूते निकाल लेते थे. उनमें पुराने जूते रख देते थे. यह खेल लंबे समय से चल रहा था. इससे तीन लोगों को नुकसान हो रहा था. सबसे पहले ऑनलाइन ई कॉमर्स कंपनी. उसकी साख खराब हो रही थी. कंपनी कारोबारी पर आरोप लगा रही थी कि उसके यहां से खराब माल जा रहा है. ग्राहक की जेब कट रही थी. रुपये देकर भी उसे सही माल नहीं मिल रहा था. धोखाधड़ी होने पर चंद ग्राहकों के ही रुपये वापस होते थे. ऑनलाइन खरीदारी तो आसान है मगर धोखाधड़ी होने पर रुपये की वापसी उतनी ही मुश्किल होती है.

त्योहारी सीजन है. बाजारों में भयंकर भीड़ है. भीड़ में कौन जाए. मोबाइल पर पर चीज देखो और ऑनलाइन ऑर्डर करो. छूट भी अधिक मिलती है. आगरा में भी बड़ी संख्या में लोग ऑन लाइन खरीदारी के दौरान ठगी का शिकार हुए हैं. किसी के मोबाइल में डिब्बे में खिलौना निकला है तो किसी के पैकेट में पुराने कपड़े.

साइबर अपराधी भी हैं सक्रिय: ऑनलाइन शॉपिंग में कई रिस्क भी हैं. साइबर अपराधी भी सक्रिय रहते हैं. वे कंपनी से मिलती जुलती वेबसाइट बनाते हैं. ऐसे में ऑनलाइन खरीदारी करने वालों को सावधान रहने की जरूरत है. साइबर अपराधियों की वेबसाइट कंपनी की वेबसाइट जैसी ही दिखती है. ठगों की साइट पर भारी छूट दिखाई जाती है. झांसे में नहीं आएं. कंपनी की असली साइट के बारे में नेट पर जानकारी कर लें. कंपनी के पेज पर आकर कॉपी राइट वाला विकल्प जरूर देखें. अगर साइट सही है तो आपको वैट आईडी भी दिखाई देगी. यदि वेबसाइट के आगे https नहीं लगा है, तो वह वेबसाइट सुरक्षित नहीं मानी जाएगी. वेबसाइट के यूआरएल एड्रेस के सामने हमेशा एक ताला आइकन दिखाई देगा, इसे चेक करना न भूलें. वेबसाइट के होम पेज पर जाकर कांटेक्ट पर क्लिक करें.यदि यहां एड्रेस जैसी जानकारी न मिले तो सावधान हो जाएं.

उपभोक्ता आयोग में कराएं शिकायत: यदि आप ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं, कंपनी में शिकायत के बाद सुनवाई नहीं हुई है तो परेशान न हों. ऐसे में आपको न्याय के लिए जिले की उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की शरण में जाना पड़ेगा. ऑनलाइन सामान खरीदने के बाद आप उपभोक्ता की श्रेणी में आएंगे. उपभोक्ता मामलों के जानकार और वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश शर्मा का कहना है कि ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान सामान की अदला बदली अनुचित व्यापार प्रथा के अंतर्गत आएगी. यह मामला भी उपभोक्ता आयोग में आएगा. ऐसे में व्यक्ति को न्याय के लिए कम्पनी में शिकायत करनी होगी. सुनवाई न होने पर उसको कम्पनी को विधिक नोटिस देना होगा. यदि नोटिस में दिए गए समय के भीतर फिार भी कोई सुनवाई नहीं होती है तो उपभोक्ता को आयोग में शिकायत दर्ज करानी होगी.

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