Agra: सीबीसीआईडी को ट्रांसफर हुआ जगदीशपुरा जमीन कांड

एसआईटी के निर्देशन में विवेचना हुई थी

Update: 2024-07-29 07:31 GMT

आगरा: बैनारा फैक्ट्री (जगदीशपुरा) के पास स्थित दस हजार वर्ग गज जमीन के मामले की विवेचना सीबीसीआईडी आगरा सेक्टर को ट्रांसफर हो गई है. शासन ने अपने स्तर से विवेचना ट्रांसफर की है. पहले एसआईटी के निर्देशन में विवेचना हुई थी.

तत्कालीन एसओ सहित 15 के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया था. विवेचना अधूरी थी. गांजा और शराब में निर्दोषों को जेल भेजने वाले बच गए थे. मुकदमे में सिर्फ तत्कालीन एसओ को आरोपित बनाया गया था. जबकि दोनों फर्जी मुकदमों की फर्द में एसओ शामिल नहीं था. पुलिस और आबकारी टीम बच गई थी.

50 करोड़ से अधिक की जमीन का मामला जनवरी 2024 में सुर्खियों में आया था. तत्कालीन डीजीपी से शिकायत हुई थी. आरोप लगाया गया था जमीन पर केयरटेकर के रूप में रहने वाले पांच लोगों को गांजा और शराब में जेल भेजा गया. दो मुकदमे लिखे गए. कथित मालकिन उमा देवी की तहरीर पर डकैती की धारा में मुकदमा लिखा गया था. बाद में उमा देवी भी फर्जी निकली थी. फर्जी वारिसान और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर जमीन की मालकिन बनने की साजिश रची थी.

पुलिस ने आरोपियों को जेल भेजा था. विवेचक ने एसआईटी के निर्देश पर बिल्डर कमल चौधरी, आर्यन उर्फ धीरू, पुरुषोत्तम पहलवान, भूपेंद्र पहलवान, किशोर बघेल, अमित अग्रवाल, आनंद जुरैल, नेम कुमार जैन को आरोपी बनाया था.

डकैती के मुकदमे में लगीथी चार्जशीट

जनवरी 2024 में एसओ और बिल्डर के खिलाफ डकैती का मुकदमा दर्ज हुआ. कुछ दिन बाद हरीपर्वत थाने में जान से मारने की धमकी और गाली-गलौज का मुकदमा लिखाया गया था. पांचवा मुकदमा नगर निगम ने हरीपर्वत थाने में धोखाधड़ी का लिखाया. जो फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने से संबंधित था. गांजे वाले मुकदमे में आरोपपत्र लगा था. जो कोर्ट से वापस लिया गया था. उस मुकदमे की जांच चल रही है. शराब वाले मुकदमे में विवेचना प्रचलित रखी गई थी. डकैती के मुकदमे में चार्जशीट लगी थी मगर विवेचना प्रचलित है.

करोड़ों की जमीन और पांच मुकदमे

जमीन कांड में सबसे पहला मुकदमा अगस्त 2023 में जगदीशपुरा थाने में लिखा गया था. रवि कुशवाह, संकरिया कुशवाह और ओमप्रकाश को जेल भेजा गया था. तीनों जेल में थे. अक्तूबर में पुलिस ने उसी जगह दबिश देकर शराब पकड़ी थी. रवि की पत्नी और बहन को जेल भेजा गया था. सवाल उठा था कि जहां पहले गांजा बिकता था वहां तीन महीने में अवैध शराब का धंधा शुरू हो गया. पुलिस बेखबर थी. आखिर क्यों. शिकायत के बाद पुलिस अधिकारियों ने दोनों मुकदमों को साजिश का हिस्सा माना था. पुलिस और आबकारी विभाग की टीम निलंबित हुई थी.

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