Agra: सरकारी सप्लाई वाली वैक्सीन के मामले में नया मोड़ आया

औषधि विभाग ने छोड़ा था ‘एआरवी’ का आरोपी

Update: 2024-08-02 05:12 GMT

आगरा: ताजनगरी में पकड़ी गई बिहार की सरकारी सप्लाई वाली वैक्सीन के मामले में नया मोड़ आया है. पुलिस के मुताबिक वैक्सीन के साथ पकड़े गए आरोपी को औषधि विभाग ने ही छोड़ा है. चूंकि मामला दवाइयों से संबंधित था, इसलिए थाना पुलिस ने सिर्फ सहयोग किया.

प्रभारी अधिकारी रविंद्र कुमार राठी के अनुसार उन्हें 10 को खबर मिली कि एक व्यक्ति बिना लाइसेंस सरकारी एआरवी (वैक्सीन) को कोरियर से मंगाकर आगरा में सप्लाई करता है. वही व्यक्ति आगरा से वैक्सीन को उठाने के लिए दोबारा आने वाला है. थाना हरीपर्वत पुलिस ने सहायक औषधि आयुक्त को जानकारी दी. उन्होंने औषधि निरीक्षक कपिल शर्मा को जरूरी कार्यवाही के लिए निर्देश दिए. जब औषधि निरीक्षक थाने आए तो उनके सहयोग के लिए पुलिस टीम को भेजा गया.

मौके से महेश लालवानी पुत्र दौलतराम लालवानी निवासी बी-194 सुभाष नगर कमलानगर को एआरवी की 14 पैकेट के साथ औषधि निरीक्षक ने टीम के साथ पकड़ लिया. महेश वैक्सीन के संबंध में लाइसेंस आदि नहीं दिखा पाया. इस पर औषधि निरीक्षक ने ही वैक्सीन की बरामदगी के लिए फर्द बनाई. निरीक्षक ही आरोपी को पूछताछ के लिए थाना लेकर आए. पुलिस का कहना है कि पूछताछ और वैक्सीन के सैंपल परिणाम आने के बाद औषधि निरीक्षक ने आरोपी को विवेचना में सहयोग करने के निर्देश देकर परिजनों के साथ रवाना कर दिया. इस मामले में संपूर्ण कार्यवाही औषधि निरीक्षक को ही करनी है. वही संबंधित न्यायालय में आवश्यक कार्यवाही कर रहे हैं.

कोर्ट में आरोपी नहीं रिपोर्ट पेश की गई पुलिस के मुताबिक, औषधि निरीक्षक ने इस संबंध में एक रिपोर्ट विशेष न्यायालय एनडीपीएस एवं औषधि प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के समक्ष पेश की थी. बरामद माल के साथ ही कोर्ट में आरोपी की पेशी होनी चाहिए.

पुलिस को करनी चाहिए थी कार्यवाही सहायक आयुक्त औषधि विभाग अतुल उपाध्याय का कहना है कि उन्हें एफआईआर कराने का अधिकार नहीं है. फर्द या आख्या बनाकर पुलिस को देते हैं. इस मामले में पुलिस को सूचना मिली थी, लिहाजा पुलिस को गिरफ्तारी करनी चाहिए थी.

● अगर आरोपी को मय दवाओं के पकड़ा गया था तो उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया.

बाहरी राज्य की सरकारी सप्लाई पर भी आरोपी को गिरफ्तार करने की जरूरत क्यों नहीं थी.

● ऐसे मामलों में मुकदमा किसकी ओर से लिखाना चाहिए, पुलिस या फिर औषधि विभाग.

● क्या औषधि निरीक्षक पर यह अधिकार है कि माल के साथ पकड़े आरोपी को छोड़ दे.

● कोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट में आरोपी को बरामद माल के साथ दिखाया गया या नहीं.

● बिहार की सरकारी सप्लाई पकड़े जाने पर बिहार सरकार को किसी ने खबर क्यों नहीं दी.

● इससे पहले भी करोड़ों की अवैध दवाएं, आरोपी पकड़े गए हैं. कितनों को छोड़ा गया है.

● अगर आरोपी भाग गया तो पुलिस- औषधि विभाग किसके खिलाफ कार्यवाही करेगा.

न्यायालय में लिखवाया जाएगा मुकदमा: औषधि विभाग के मुताबिक अभी विवेचना चल रही है. नमूने कसौली (हिमाचल प्रदेश) की केंद्रीय प्रयोगशाला में जमा कराए गए हैं. कोर्ट के जरिए ही मुकदमा लिखा जाएगा. हालांकि आरोपी के भागने की स्थिति में विभाग क्या करेगा, इसका जवाब औषधि विभाग के पास भी नहीं है.

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