Agra: संदिग्ध वैक्सीन का बड़ा गिरोह औषधि विभाग के हाथ से निकला

अंतर्राज्यीय गिरोह होने की आशंका जताई गई

Update: 2024-07-30 04:19 GMT

आगरा: पुलिस और औषधि विभाग के हाथ से नकली या संदिग्ध वैक्सीन (एआरवी) की हेराफेरी करने वाला बड़ा गिरोह फिसल गया है. एआरवी की वायल जब्त करके पकड़े गए, व्यक्ति को छोड़ दिया गया. गिरफ्तारी नहीं की गई. आश्चर्य कि कोई मुकदमा भी नहीं लिखा गया है.

बीते दिनों पुलिस को एक कोरियर कंपनी में नकली वैक्सीन आने की खबर मिली. इस पर पुलिस ने संजय प्लेस स्थित कोरियर कंपनी पर जाकर संबंधित पैकेट को जब्त कर लिया. करीब 560 वायल बरामद की गई थीं. वैक्सीन की खेप पर बिहार सरकार मुद्रित था. यानि इनकी सप्लाई बिहार के सरकारी अस्पतालों में होनी थी. पुलिस ने एआरवी की वायल के साथ महेश लालवानी को पकड़ा था. उसके पास दवा बेचने या सप्लाई करने का कोई लाइसेंस आदि नहीं था. दूसरे प्रदेश की वायल यहां किसी भी हालत में बेची भी नहीं जा सकती थीं. बड़ा मामला सामने आने के बाद भी पुलिस ने आरोपी को महज पूछताछ के बाद छोड़ दिया. उसके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया. औषधि विभाग ने भी बरामद वायल के चार नमूने ले लिए. औषधि निरीक्षक कपिल शर्मा इन्हें लेकर हिमाचल प्रदेश स्थित एआरवी बनाने वाली फार्मास्युटिकल कंपनी चले गए. कंपनी को जांच के लिए सभी नमूने सौंप दिए गए हैं.

हिमाचल की कंपनी सभी नमूनों की जांच करेगी. संबंधित दवा के बैच नंबर से मिलान करेगी. अगर यह सही पाया जाता है तब दूसरे प्रदेश में दवा भेजने का मुकदमा होगा. दवा नकली होने पर नक्काली की धाराएं लगाई जाएंगी. यानि दोनों स्थितियों में औषधि विभाग मुकदमा लिखाएगा. लेकिन यह किस पर होगा, आरोपी पहले ही छोड़ा जा चुका है.

औषधि विभाग की हालत देखिए. निरीक्षक अपने अधिकारी को ही खबर नहीं करते. सहायक आयुक्त औषधि अतुल उपाध्याय को बरामद वायल की संख्या ही नहीं पता. वे कहते हैं कि निरीक्षक को पता होगा, अभी पूरी जानकारी नहीं है. निरीक्षक ने वायल सील करने से लेकर हिमाचल जाने तक की जानकारी अपने आयुक्त को देना भी जरूरी नहीं समझा.

नकली हो सकते हैं एआरवी इंजेक्शन: पकड़ी गई एआरवी की खेप के नकली होने की प्रबल आशंका है. चूंकि एआरवी किसी भी स्थिति में कोल्ड बाक्स के बिना नहीं भेजी जा सकती. इसके लिए 2.0 से लेकर 8.0 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान की जरूरत होती है. इस तापमान के बाहर इंजेक्शन खराब हो जाते हैं. जिस तरह से इस दवा को लाया गया, उससे इनके नकली होने की आशंका है.

पुलिस और औषधि विभाग ने इस मामले को जान-बूझकर हाथ से जाने दिया. वरना किसी बड़े अंतर्राज्यीय ड्रग गैंग का पर्दाफाश हो सकता था. सूत्रों की मानें तो कोरियर से दवाएं आने के बाद इनकी रीफिलिंग होने का अंदेशा है. इन्हें दूसरी पैकिंग में डालकर बेचे जाने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता. यह काम कोई छोटा-मोटा गिरोह नहीं कर सकता.

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