नोएडा न्यूज़: नोएडा और ग्रेटर नोएडा से कोरोना काल में हुए मजदूरों के पलायन की भरपाई तीन वर्ष बाद भी नहीं हो पाई है. इसकी तस्दीक श्रम विभाग की हालिया रिपोर्ट दे रही है. बीते तीन वर्षों के आंकड़े पर गौर करें तो 2020 के मुकाबले 2023 में शहर के अंदर श्रमिकों की संख्या एक चौथाई से अधिक कम हो गई है.
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में वर्तमान में पंजीकृत श्रमिकों की संख्या 8,708 है. नतीजन, शहर में अनेक विकास कार्यों की रफ्तार धीमी पड़ी है. श्रम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि एक ओर जहां श्रमिकों का आंकड़ा साल दर साल कम हो रहा है. वहीं, अधिष्ठानों की संख्या बढ़ती जा रही है. बीते वर्ष की तुलना में इस वर्ष 25 प्रतिशत नए अधिष्ठान पंजीकृत हुए हैं. विभागीय अधिकारियों के मुताबिक कोरोना में कामकाज चले जाने के बाद बहुत से लोगों ने अपना कामकाज शुरू कर दिया है. कई स्थानों पर लोगों ने बिना श्रमिकों के परिवार के सदस्य की मदद से ही छोटी बड़ी कंपनी संचालित कर ली हैं. इसके अलावा विभाग की ओर से भी श्रमिकों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं.
औद्योगिक इकाइयों में कार्य हो रहा प्रभावित नोएडा एंटरप्रेन्योर एसोसिएशन (एनईए) के अध्यक्ष विपिन मल्हन बताते हैं कि नोएडा और ग्रेनो में लगभग 20 हजार औद्योगिक इकाइयां हैं. इनमें 11 हजार इकाइयां नोएडा की हैं. कहा कि पूर्व में प्रदेश में विकास कार्य सिर्फ नोएडा में ही होते थे, ऐसे में शहर में काम की तलाश में श्रमिक 500 से हजार किलोमीटर तक दूरी तय कर पहुंचते थे. लेकिन अब राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों में बड़ी विकास परियोजनाएं चल रही हैं. लखनऊ, गौरखपुर, मथुरा, अयोध्या, वाराणसी, कानपुर और गाजियाबाद इत्यादि जिलों में एतिहासिक इमारतों, मंदिरों के अलावा सड़कों का निर्माण आदि कार्य चल रहा है. वहीं, कोरोना संक्रमण अभी समाप्त नहीं हुआ है. ऐसे में मजदूर अपने शहर के आसपास ही काम की तलाश कर रहा है. यहीं एक मुख्य कारण है कि शहर में मौजूद इकाइयों में कामगारों का टोटा हैं, जिससे शहर का कार्य प्रभावित हो रहा हैं.