आखिर कब लगेगी अवैध एंबुलेंस पर लगाम, व्यवस्था में खामी का उठाते हैं फायदा

Update: 2023-07-29 12:00 GMT

मेरठ न्यूज़: कोई तो वजह है जो मेडिकल कॉलेज प्रशासन अवैध एंबुलेंस के आगे बेबस है. परिसर में इनकी मौजूदगी हमेशा से सवालों के घेरे में रही है लेकिन कोई इन पर शिकंजा कसने का साहस नहीं दिखा पाया. नवजात की मौत से आहत परिजनों ने लड़ने का साहस दिखाया तो मामला खुल गया वरना हर रोज न जाने कितने मरीज समय पर जिंदगी और मौत से जूझते होंगे.

व्यवस्था में खामी का उठाते हैं फायदा मेडिकल अस्पताल की व्यवस्था ऐसी है कि मरीजों को भर्ती कराने में पसीने छूट जाते हैं. फाइल बनवाने से लेकर टेस्ट के शुल्क जमा करने तक के लिए काउंटर दर काउंटर दौड़ाया जाता है. मरीज इससे परेशान होकर निजी अस्पताल में इलाज करने को बेबस हो जाता है.

सीसीटीवी कैमरे, गार्ड भी बेबस

मेडिकल अस्पताल में इमरजेंसी, सुपर स्पेशलियटी और अन्य वार्ड में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. गार्ड भी तैनात हैं. इसके बाद भी दलाल बेखौफ होकर अपना काम कर रहे हैं. कैमरे चेक किए जाते हैं तो उनमें कोई इमेज ही नहीं मिलती.

एक मरीज का दाम 10 से 20 हजार

हींग लगी न फिटकरी, रंग चोखा ही चोखा! यह कहावत मेडिकल कॉलेज में एंबुलेंस संचालकों पर फिट बैठती है. मरीज को यहां से निजी अस्पताल ले जाने में हर मरीज पर 10 से 20 हजार आसानी से कमा लेते हैं.

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने पत्र लिखकर इन एंबुलेंस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. आठ एंबुलेंस को सीज किया गया था. हालांकि जुर्माना भुगतान के बाद उन्हें छोड़ दिया गया. पूर्णरूप से पाबंदी के लिए सख्त कदम उठाने होंगे. - जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव, एसपी ट्रैफिक

बच्चा चोरी की घटनाएं

मेडिकल कॉलेज में कई बार लेबर रूम, बच्चा वार्ड से बच्चा चोरी होने की घटनाएं हो चुकी हैं. ऐसे मामले सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन ने जगह-जगह दीवारों पर बच्चा चोरों से सावधान रहने की सूचना लिखवा रखी है.

बढ़ रहे निजी अस्पताल

मेडिकल के पास अवैध अस्पतालों का नेटवर्क है. इनमें कई बार ऐसे मामले सामने आए जब मरीजों को मेडिकल से शिफ्ट कर भर्ती किया गया. बाद में इन मरीजों को इलाज का मोटा बिल थमा दिया. पैसे न चुका पाने पर मारपीट भी की जाती है.

मेरठ न्यूज़

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