सरकारी गोदामों को भरने की प्रशासनिक युक्तियां काम नहीं आईं

गेहूं खरीद अधर में, क्रय केंद्रों पर सन्नाटा

Update: 2024-05-16 06:05 GMT

कानपूर: खाली हो चुके सरकारी गोदामों को भरने की प्रशासनिक युक्तियां काम नहीं आईं. कारोबारियों की खरीद बंद कराने के बाद कुछेक दिनों तक किसानों ने सरकारी क्रय केंद्रों का रुख किया लेकिन बाजार में गेहूं के दाम बढ़ते ही वह आढ़तियों के पास अपनी उपज लेकर पहुंचने लगे.

गरीबों को जून की रोटी मुहैया कराने के लिए सरकार ने मुफ्त खाद्यान्न वितरण योजना और परिषदीय बच्चों के लिए मिडडेमील संचालित कर रखी है. किसानों को उपज की अच्छी कीमत दिलाने के लिए समर्थन मूल्य पर लाखों मीट्रिक टन गेहूं, धान खरीदकर इसको ही लाभार्थियों तक पहुंचाते हैं. जनपद में बड़े पैमाने पर गेहूं की खेती होती है. इस बार भी लगभग लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया गया. उत्पादन भी अच्छा हुआ. खाली हो चुके सरकारी गोदामों को भरने के लिए शासन ने 1,28,000 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद के लिए जिले का लक्ष्य निर्धारित किया. 01 मार्च से जनपद में क्रय केंद्र खोले गए लेकिन पहली तुलाई 27 मार्च को हुई. इसके बाद इक्का दुक्का किसान क्रय केंद्रों पर पहुंचे. खाली गोदाम और गेहूं की सरकारी खरीद देख प्रशासनिक अधिकारियों ने कुछ दिनों से लिए नवीन गल्ला मंडी सहित जनपद में गेहूं खरीद पर रोक लगा दी. उन्होंने नवीन गल्ला मंडी में लेखपालों की ड्यूटी लगाकर उपज लाने वाले किसानों का पंजीकण करवाने के बाद सरकारी क्रय केंद्रों में तुलाई शुरू कर दी.

कुछ दिनों तक गेहूं खरीद में सुधार हुआ लेकिन भुगतान में विलंब होते देख किसानों ने क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचने से मना कर दिया. वह खरीद पर लगी प्रशासनिक रोक हटने का इंतजार करने लगे. इस कारण मंडी में गेहूं की आवक कम हो गयी. यह स्थिति देख प्रशासन ने अपना निर्णय वापस लिया. मंडी में किसानों का आना शुरू हो गया और कारोबारी फिर से खरीद करने लगे. बीते दिनों प्रशासन ने सरकारी खरीद को गति देने के लिए और प्रयास किया.

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