बागों का शहर लखनऊ से रोजाना लगभग 300 टन प्लास्टिक का कचरा निकल रहा

बागों का शहर प्लास्टिक सिटी में तब्दील होता जा रहा है

Update: 2024-05-03 06:59 GMT

लखनऊ: लखनऊ से रोजाना लगभग 300 टन प्लास्टिक का कचरा निकल रहा है. इसके निस्तारण के कोई ठोस इंतजाम नहीं है. नगर निगम के रिकॉर्ड मुताबिक शहर से रोजाना करीब 00 टन कचरा निकलता है. इसमें 15 फीसदी प्लास्टिक होती है. निस्तारण के सभी इंतजाम फेल रहे हैं. इसके चलते बागों का शहर प्लास्टिक सिटी में तब्दील होता जा रहा है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक शिवरी प्लांट में 1. लाख टन प्लास्टिक कचरा डंप है. वहीं रोज शहर में 80 कुंतल प्रतिबंधित पॉलीथीन इस्तेमाल होती है, जो प्रदूषण बढ़ाने में मददगार बन रही है. फॉरेस्ट सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक लखनऊ में औसतन 1. फीसदी दर से ग्रीनरी बढ़ती है, लेकिन संसाधनों के दोहन के हिसाब से यह नाकाफी है. कुछ लोग पृथ्वी बचाने की मुहिम जरूर चला रहे हैं, लेकिन उतनी तेज नहीं है जितनी होनी चाहिए. पृथ्वी दिवस पर हिन्दुस्तान टीम ने पर्यावरण खराब करने वाले सभी कारणों की पड़ताल की तो पता चला कि प्लास्टिक कचरा शहर के लिए बड़ी चुनौती बन रहा है.

नगर निगम के अकेले शिवरी प्लांट पर आन रिकॉर्ड लगभग लाख मीट्रिक टन कचरा ढेर है. निगम के पर्यावरण विभाग की मानें तो इसमें लगभग 5 पॉलीथिन है. वैसे भी कुल कचरे में 15 प्लास्टिक ही निकलता है. इसमें 10 तो साइकिल योग्य है. बाकी 10 या तो घरों से बिक जाता है या सफाई कर्मचारी छांटकर बेच देते हैं. बचता है लगभग 5 पॉलीथीन कचरा, जिसका कहीं निस्तारण नहीं हो पाता है. अब नगर निगम ने नई कम्पनी को इसका काम दिया है. हालांकि नगर निगम अफसर दावा जरूरत करते हैं कि 18 महीने में यह कचरा साफ हो जाएगा. मगर बीते अनुभवों के आधार पर इसकी संभावना थोड़ी कम ही लगती है.

88 गांवों से कलेक्शन से और बढ़ेगा प्लास्टिक कचरा नगर निगम सीमा में तीन वर्ष पहले 88 नए गांव शामिल हुए थे. इनसे अभी पूरे कचरे का कलेक्शन नहीं हो पा रहा है. नयी कम्पनी को विस्तारित क्षेत्र में कूड़ा कलेक्शन का काम दिया गया है. इसके चलते शहर में चार से पांच सौ टन कचरा और बढ़ने की उम्मीद है, जिसमें करीब पचास टन कूड़ा प्लास्टिक वेस्टेज ही होगा.

नगर निगम की लापरवाही से प्रतिबंधित प्लास्टिक धड़ल्ले से बिक रही है. शहर में अधिकांश माल गुजरात, गाजियाबाद, दिल्ली, कानपुर, नोएडा समेत अन्य जगहों से आता है. पहले देवा रोड और मोहान रोड में कुछ फैक्टरियां थीं, लेकिन सरकार की सख्ती से सब बंद हो गई हैं. -विकास खन्ना, अध्यक्ष, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए)

सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगा दिया, लेकिन जिम्मेदार विभाग सख्ती से लागू नहीं करते हैं.यदि कंपनियां इसी तरह से प्लास्टिक बनाती रहीं तो आम पब्लिक भी इसे इस्तेमाल करती रहेगी. ऐसे में सरकार को प्लास्टिक बनाने वाली कंपनियों को रोकना होगा. साथ ही आम पब्लिक को भी अपना सहयोग देना होगा. -अमरनाथ मिश्रा, अध्यक्ष, लखनऊ व्यापार मंडल

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