हरदोई का एक मंदिर बांट रहा ज्ञान, इसमें 85 साल से चल रहा पुस्तकालय

Update: 2023-05-02 06:39 GMT

हरदोई: यूपी के हरदोई स्थित तेरवा दहिगवा गांव में एक मंदिर न सिर्फ शिव जी की आस्था का केंद्र है, बल्कि भारत की आने वाली पीढ़ी का भविष्य का निर्माण करने की जिम्मेदारी भी खुद पर उठाए हुए है। जी हां, इस मंदिर में पूजा-पाठ और शिव भक्ति के साथ-साथ पुस्तकालय भी बना हुआ है। मंदिर में करीब 85 साल पहले ग्राम सुधार पुस्तकालय की स्थापना हुई, तब से लगातार यहां बच्चे पढ़-लिखकर कामयाबी की इबारत लिख रहे हैं। अब तक हजारों की संख्या में यहां से तैयारी करके बच्चे इंजीनियर, डॉक्टर और समाजसेवी बनकर गांव का नाम देश और विदेश में रोशन कर रहे हैं।

1938 में हुई पुस्तकालय की स्थापना: मंदिर के पुजारी और पुस्तकालय की देखरेख करने वाले 75 वर्षीय शिवनंदन लाल पटेल ने बताया कि प्रतिदिन लगभग 50 बच्चे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने पुस्तकालय में पढ़ने आते हैं। इस पुस्तकालय की स्थापना सन 1938 में गांव के बीचों-बीच स्थित शिव मन्दिर में स्थापना उनके पिता स्व. दुलारे लाल ने की थी। पुजारी शिवनंदन का कहना है कि अंग्रेजों का समय था। गांव के बच्चों को स्कूल जाने को नहीं मिलता था। उस समय गांव बच्चों को पढ़ने के लिए पुस्तकें भी नहीं मिलती थी। इसे देखते हुए मेरे पिता ने गांव वालों की सहमति से शिव मंदिर में पुस्तकालय की स्थापना की थी। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले बच्चे परेशान रहते थे। बाद में प्रतियोगी परीक्षाओं के हिसाब से भी पुस्तकें आना प्रारंभ हो गई। तब से पढ़ने लिखने वाले बच्चे पुस्तकें एक माह के लिए घर भी ले जा सकते हैं। इसके लिए उनसे कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।

5000 से अधिक पुस्तकें हैं उपलब्ध: पुस्तकालय संचालन के सहयोगी शानू सिंह ने बताया, पुस्तकालय में आजादी के पहले तक के ब्रिटिश कालीन समाचार पत्र और सैकड़ों पुस्तकें मौजूद हैं। पुस्तकालय पर प्रतिदिन अखबार आते हैं। पुस्तकालय में पांच हजार के करीब प्रतियोगी पुस्तकें उपलब्ध हैं। पुस्तकालय के खर्च के लिए अधिकारियों ने एक संगठन बना रखा है, जिससे पुस्तकालय में होने वाला खर्च का पैसा देते हैं। हम पुस्तकालय को समय के हिसाब से धीरे-धीरे अपडेट भी कर रहे हैं, जिससे अधिक से अधिक बच्चों को फायदा मिल सके।

पुस्तकालय से पढ़कर बन रहे अधिकारी: हरदोई जिले में बेहंदर के कासिमपुर थाना क्षेत्र का तेरवा दहिगवा गांव पढ़ाई की होड़ हो या नौकरी की दौड़, कामयाबी की हर कसौटी खरा उतरा है। शिक्षा के मामले में यह गांव बड़े बड़े कस्बों को पीछे छोड़ चुका है। इसमें इस पुस्तकालय का बड़ा योगदान है। ग्राम सुधार पुस्तकालय से पढ़कर ढेर सारे युवा प्रशासनिक अधिकारी, न्यायिक अधिकारी, इंजीनियर, डॉक्टर, शिक्षक, वैज्ञानिक बनकर अपने गांव का नाम देश और विदेश में नाम रोशन कर रहे हैं।

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