52 साल पहले पूर्वी पाकिस्‍तान से भारत आए बंगाली हिंदुओं को सौगात, सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिए घर और खेत

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Update: 2022-04-19 07:50 GMT

लखनऊ: पूर्वी पाकिस्‍तान (अब बांग्‍लादेश) से 1970 में आए बंगाली हिंदू परिवारों का 52 वर्षों से चला आ रहा इंतजार अब खत्‍म हो गया है। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने मंगलवार को लखनऊ स्थित लोकभवन में आयोजित कार्यक्रम में इन परिवारों को घर और खेती के लिए जमीजन के पट्टे दिए। कानपुर देहात के रसूलाबाद क्षेत्र में इन्‍हें पट्टे दिए गए हैं। खेती के लिए हर परिवार को दो एकड़ और आवास के लिए 200 मीटर जमीन दी गई है। इसके साथ ही मुख्‍यमंत्री आवास योजना के तहत 1.20 लाख रुपए मकान बनाने के लिए दिए गए हैं। हर घर को एक-एक शौचालय भी बनाकर दिया जाएगा।

इस मौके पर सीएम योगी ने बताया कि 1970 में करीब 407 परिवार उस समय के पूर्वी पाकिस्‍तान (आज के बांग्‍लादेश) से विस्‍थापित होकर उत्‍तर प्रदेश में आए थे। तब उन्‍हें मेरठ के हस्तिनापुर में एक सूत मिल में नौकरी दी गई थी। 1984 में वो सूत मिल बंद हो गई। इसके बाद कुछ परिवारों का पुनर्वास अलग-अलग जगहों पर हुआ लेकिन 65 परिवार 1984 से अब तक अपने परिवार के पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे थे। इन 38 वर्षों में जाने कितने लोग चले गए। प्रतीक्षा करते-करते दो परिवार तो पूरी तरह समाप्‍त हो गए। 63 परिवार बचे थे।
जब प्रधानमंत्री मोदी जी ने पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और अफगानिस्‍तान से आए उन देशों के अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के लोगों को नागरिकता देने और पुनर्वास के कार्यक्रम का एक्‍ट पास किया तो हमने यूपी में पुराने कागज ढूंढने शुरू किए। तब पता चला कि इन 63 परिवारों की स्थिति बदहाल है। ये खानाबदोश जैसी जिंदगी जी रहे हैं। इस बीच कोरोना काल में एक-एक जिंदगी को बचाने के दो साल तक हमें अपनी पूरी ताकत वहां लगानी पड़ी लेकिन प्रसन्‍नता है कि राजस्‍व विभाग ने समयबद्ध ढंग से इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाकर इन 63 परिवारों के व्‍यवस्थित पुनर्वास की कार्ययोजना को लागू कर दिया है।

सीएम योगी ने कहा कि आज का दिन बहुत महत्‍वपूर्ण इसलिए भी है लोग जहां मूल निवासी थे वहां शरण नहीं मिल पाई। प्रताड़ित हुए। आजादी के बाद भी उन्‍हें वहां दर्द झेलना पड़ा लेकिन भारत ने दोनों हाथ उनके सामने फैलाकर, उन्‍हें अपनी गोद में लेकर न केवल उन्‍हें शरण दी बल्कि उनके पुनर्वास की योजना को भी आगे बढ़ा रहा है। यह भारत की मानवता के प्रति सेवा का एक अभूतपूर्व उदाहरण है। इन 63 पट्टों करीब 400 की आबादी लाभान्वित होने जा रही है।
यह पहली बार नहीं हुआ है। 2017 में सरकार गठन के समय अनेक चुनौतियां थीं। बहुत सारे लोग ऐसे थे जिन्‍हें आजादी के बाद सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाया था। इनमें मुसहर, वनटांगिया, कोल, भील, शहरिया, थारू जैसे तमाम समुदायों की यही स्थिति थी। सरकार ने सफलतापूर्वक ऐसे परिवारों को चिन्हित कर आवासीय पट्टा, पीएम या सीएम आवास योजना का लाभ दिलाया। 1.08 लाख आवास अकेले मुख्‍यमंत्री आवास योजना के तहत उपलब्‍ध कराए गए हैं। ये 63 परिवार भी उसी से लाभान्वित हो रहे हैं।
सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने इन समुदायों की पीड़ा के लिए पूर्ववर्ती सरकारों को जिम्‍मेदार ठहराया। उन्‍होंने सवाल उठाया कि क्‍यों नहीं पूर्व की सरकारों ने वनटांयिया, थारू आदि समुदायों के लिए कोई काम किया। आज हम वनटांगिया के 38 गांवों को राजस्‍व गांव में बदलकर आजादी के बाद पहली बार उन्‍होंने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। आजादी के बाद किसी के पास पक्‍का मकान नहीं था। आज उनके पास पक्‍के मकान हैं।
सीएम योगी ने राजस्‍व, ग्राम्‍य विकास और पंचायती राज विभाग को निर्देश दिया कि इन 63 परिवारों को कालोनी, आदर्श गांव, स्‍मार्ट विलेज के तौर पर बसाने का निर्देश दिया। उन्‍होंने कहा कि इनके लिए स्‍कूल, अस्‍पताल, पेयजल, सामुदायिक भवन के साथ-साथ रोजगार की व्‍यवस्‍था भी होनी चाहिए। महिलाओं-पुरुषों सबको आत्‍मनिर्भर बनने का अवसर मिले। 52 वर्षों तक जिन्‍हें रोजगार और आत्‍मनिर्भरता की ओर नहीं बढ़ाया जा सका, उन्‍हें सरकार अब उस दिशा में ले जा रही है। सीएम योगी ने कहा कि ढेर सारी योजनाएं हैं जिनसे इन्‍हें जोड़ सकते हैं।
सीएम योगी ने अपनी सरकार द्वारा वनटांगिया, थारू आदि अन्‍य कई समुदायों के पुनर्वास के लिए किए गए कामों की विस्‍तार से जानकारी दी। उन्‍होंने कहा कि आजादी के बाद कई परिवारों को विस्‍थापन का दर्द झेलना पड़ा। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने ऐसे परिवारों के पुनर्वास का मार्ग प्रशस्‍त किया।

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