लखनऊ। बसों व बस स्टेशनों से सीधे तौर पर जुडेÞ यात्रियों की मिलने वाली हर हाल में सुविधाओं को लेकर अब खुद एमडी संजय कुमार ने सही फीडबैक लेना शुरू कर दिया है। उन्होंने जब सूक्ष्मता से रीजनवार बसों से जुडे यात्री सुविधाओं का परीक्षण कराया तो यही अधिकांशत: देखने को मिला कि जो निगम प्रबंधन द्वारा प्रदत्त जनसुविधायें हैं, वो भी जमीनी स्तर पर नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में न चाहते हुए भी यात्री अनधिकृत बसों में यात्रा करने को मजबूर होते हैं जिससे सीधे तौर पर रोडवेज की आय को झटका लगता है।
एमडी ने जब ऐसे ही गहनता के साथ परीक्षण कराया तो पाया गया कि कई एआरएम और कुछ आरएम अपनी ड्यूटी को लेकर संजीदा नहीं हैं या फिर एक्टिव नहीं है जिसका खामियाजा निगम की कम होती आय के रूप में उठाना पड़ रहा है। चर्चा है कि उक्त प्रकरण में समीक्षा के दौरान चार क्षेत्रीय प्रबंधक और तकरीबन एक दर्जन एआरएम एमडी की कार्रवाई के जद में आ गये हैं। पता चला कि एमडी ने खासकर आॅफ रोड खड़ी बसों का रिव्यू कराया तो यह मामला निकलकर सामने आया। ऐसे में खराब प्रतिफल देने वाले कानपुर, चित्रकूट, प्रयागराज और आजमगढ़ क्षेत्रों के क्षेत्रीय प्रबंधकों को सुधार के लिए चेताया गया है। जबकि एक दर्जन से ज्यादा सहायक क्षेत्रीय प्रबंधकों से स्पष्टीकरण भी मांगा है।
जिन अफसरों से मांगा स्पष्टीकरण …
सहायक क्षेत्रीय प्रबंधकों में बलिया, सिविल लाइंस (प्रयागराज), अलीगढ़, अतरौली, अमरोहा, मुरादाबाद डिपो, सहारनपुर, अमेठी, सुल्तानपुर, फजलगंज, बदायूं, पीलीभीत, खुर्जा, पडरौना, राप्तीनगर देवरिया डिपो