पायलट प्रोजेक्ट के तहत अस्पतालों को आठ से 10 लाख रुपये के बजट का किया गया है प्रावधान

Update: 2022-08-05 13:22 GMT

      प्रतीकात्मक तस्वीर 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : अब गंभीर बीमारी से पीड़ित शिशु के साथ मां भी वार्ड में रह सकेंगी। सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) और नियोनेट इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) में भर्ती नवजात शिशु के साथ मां के रहने की व्यवस्था नहीं थी। प्रदेश के 17 मेडिकल संस्थानों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत व्यवस्था लागू की जा रही है। नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के तहत अस्पतालों को आठ से 10 लाख रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है।

प्रसव के बाद तमाम तरह की जटिलताएं हो जाती हैं। खासतौर पर ऑपरेशन से जन्मे शिशु के साथ। ऐसे बच्चों को एसएनसीयू और एनआईसीयू में रखने की जरूरत पड़ती है। तीन से पांच दिन में प्रसूताओं की अस्पताल से छुट्टी हो जाती है। यदि अस्पताल में शिशु भर्ती है तो उसे स्तनपान कराने समेत दूसरी समस्याएं प्रसूताएं झेलती हैं। इन माताओं को दुश्वारियों से बचाने के लिए नई पहल की गई है। इसके तहत एनआईसीयू और एसएनसीयू में प्रसूताओं के रहने का बंदोबस्त किया जा रहा है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के महाप्रबंधक डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि किसी भी बच्चे के जन्म से लेकर दो साल की आयु तक स्तनपान जरूरी है। शिशु के भर्ती के दौरान स्तनपान प्रक्रिया प्रभावित होती है। नई व्यवस्था के तहत शिशु का स्तनपान भी नहीं रुकेगा। फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तहत कई मेडिकल कॉलेज में ऐसी व्यवस्था शुरू की जा रही है। 17 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत योजना शुरू कर जा रही है। प्रथम चरण के तहत 14 जिला के अस्पतालों को बजट आवंटित किया गया है। मेरठ, बुलंदशहर, बागपत, गाजियाबाद समेत 14 जिलों की यूनिट के विस्तार के लिए बजट आवंटित कर दिया गया है। करीब आठ से 10 लाख रुपये मुहैया कराए गए हैं।
source-hindustan

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