8 साल के बच्चे ने मां की डांट से परेशान होकर की आत्महत्या

उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद (Banda) के बबेरू कस्बे में 8 साल के बच्चे ने मां की डांट से परेशान होकर शुक्रवार की शाम अपने घर के अंदर गमछे के सहारे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली

Update: 2022-06-25 10:32 GMT

उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद (Banda) के बबेरू कस्बे में 8 साल के बच्चे ने मां की डांट से परेशान होकर शुक्रवार की शाम अपने घर के अंदर गमछे के सहारे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. जैसे ही घरवालों ने देखा तो बच्चे को फौरन फांसी के फंदे से निकालकर बबेरू सीएचसी में भर्ती कराया. जहां पर डॉक्टरों ने देखते ही बच्चे को मृत घोषित कर दिया. पुलिस अधीक्षक बांदा अभिनंदन सिंह के अनुसार बबेरू कस्बे के बांदा रोड स्थित गायत्री नगर के रहने वाले राम प्रताप साहू का 8 साल का पुत्र नीरज साहू ने मां की डांट से परेशान होकर अपने घर के ऊपर वाले कमरे पर गमछे के सहारे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. जैसे ही परिजनों ने देखा तो फांसी के फंदे से निकालकर बबेरू सीएचसी पर भर्ती कराया. जहां पर डॉक्टर ने परीक्षण करने के बाद बच्चे को मृत घोषित कर दिया.

मौत की खबर सुनकर परिवार में कोहराम मच गया. वहीं डॉक्टरों की सूचना पर पुलिस क्षेत्राधिकारी सत्य प्रकाश शर्मा और बबेरू कस्बा इंचार्ज तुषार श्रीवास्तव पुलिस फोर्स के साथ सीएचसी पर पहुंचे और शव को कब्जे में लेकर पंचनामा भरा. बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज बांदा भेजा गया.
बच्चों में बढ़ रहा है आत्महत्या करने का ट्रेंड
पुलिस अधीक्षक बांदा अभिनंदन सिंह ने बताया कि इस समय आत्महत्या बच्चों में ज्यादा बढ़ रही है. ये एक बड़ा चिंतनीय विषय है इस पर हमें आपको समाजसेवियों को मिलकर एक क्लासेज चलानी चाहिए. जगह-जगह पर स्कूलों में बच्चों को यह सिखाया जाना चाहिए कि आत्महत्या ना करें, आत्महत्या कायरता है. आत्महत्या किसी चीज का हल नहीं है. आत्महत्या एक कुरीती है. पुलिस अधीक्षक ने कहा आज हमारे अंदर से सहन करने की क्षमता खत्म होती जा रही है अर्थात हमारे पास सहनशक्ति एकदम खत्म हो रही है. हम किसी बात को एकदम सहन नहीं कर पाते हैं. गुस्से को पचा नहीं पाते हैं और फिर मौत को गले लगा लेते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा तो बड़ों में देखा गया था, लेकिन अब मैं यह देख रहा हूं कि छोटे-छोटे किशोर-किशोरी में ये आत्महत्या का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है.
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5 वर्ष से लेकर 15 वर्ष तक के बच्चे बच्चियों में यह चीज आ चुकी है. जिस कारण आत्महत्या के मामले धीरे-धीरे बढ़ते जा रहे हैं बांदा में ही अकेले 2 महीने के दौरान लगभग 100 आत्महत्याएं हो चुकी हैं. जिसमें से लगभग 20 किशोर और किशोरियों की हैं.


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