कानपूर: केडीए के इंजीनियरों ने जवाहरपुरम योजना में हवा में ही 700 प्लॉट काट दिए. बिना जमीन के ही लेआउट प्लान तैयार किया. लॉटरी निकाली, पैसा लिया और बेच डाला. यह भी जानने की कोशिश नहीं की कि उन जमीनों पर केडीए का मालिकाना हक है भी या नहीं. आवंटियों के साथ केडीए ने तो छल किया ही, साथ ही उन काश्तकारों को भी लटकाए रखा जिनकी जमीनें लेकर 10.15 करोड़ रुपये का समायोजन कर दिया मगर उन्हें भुगतान अब तक नहीं हुआ. अब यह मामला केडीए की ऑडिट रिपोर्ट में फंस गया है. कैग ने इसे अनियमित समायोजन माना है.
हकीकत यह है कि केडीए ने पहले से ही जमीन के मालिकाना हक को न तो जांचा और न ही सही रिपोर्ट तैयार की. संपत्ति विभाग में तहसीलदार ने सभी जमीनों के केडीए द्वारा अर्जित होने की रिपोर्ट दी थी. इसी आधार पर टाउन प्लानर ने लेआउट प्लान तैयार कर लिया और अभियंत्रण ने विकास कार्य करना शुरू कर दिया. अगर जमीनों की असलियत या विवादों का आकलन कर लिया गया होता तो भी गनीमत थी मगर केडीए ने न सिर्फ लाटरी निकालकर आवंटन कर दिया बल्कि किस्तें भी जमा करा लीं. अब जिन्होंने पूरी रकम जमा कराकर रजिस्ट्री करा ली है वह आशियाना नहीं बना पा रहे क्योंकि कब्जा ही नहीं मिल रहा. वहीं जो आवंटी लगातार किस्तें जमा कर रहे हैं उनके भूखंडों का भविष्य अधर में है.