गोरखपुर न्यूज़: सिंचाई विभाग में न्याय पाने की उम्मीद लिए 207 कर्मचारी 6 साल से आंदोलनरत हैं. धरना-प्रदर्शन और अनशन कर रहे हैं. आंदोलन की राह पकड़ने वाले इन कर्मचारियों की संख्या 218 थी जिनमें से 11 का निधन हो चुका है. लेकिन विभाग के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहा है. आंदोलनकारियों का कहना है कि उच्च न्यायालय के आदेश को भी सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने ताक पर रख दिया है.
सिंचाई विभाग इम्पलाइज यूनियन गोरखपुर अपनी मांगों को लेकर 2017 से मुख्य अभियंता (गंडक) सिंचाई विभाग के कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन कर रहा है. यह यूनियन सिंचाई विभाग से निकाले गए 218 मानदेय कर्मियों को न्याय दिलाने के लिए धरना-प्रदर्शन कर रहा है. एक-दो बार नहीं बल्कि कई बार उनके धरना-प्रदर्शन और अनशन को खत्म कराने के लिए प्रशासन ने पहल की. आश्वासन दिया कि सिंचाई विभाग के अफसरों से बातचीत करेंगे. लेकिन कभी बात ही नहीं बनी और यूनियन आंदोलन की राह पर चलता रहा.
यूनियन के पिछले 6 साल के धरना-प्रदर्शन के दौरान शामिल रहे 218 कर्मचारियों में से एक-एक कर 11 ने इस दुनिया को छोड़ दिया. न्याय की आस लिए वे काल के गाल में समाते चले गए. शेष 207 सदस्य अपनी मांगों पर अडिग हैं.अब मुख्य अभियंता (गंडक) सिंचाई विभाग के कार्यालय के समक्ष 24 घंटे क्रमिक अनशन का निर्णय लिया है. यूनियन के 3 सदस्य 24 घंटे अनशन पर बैठ रहे हैं. 24 घंटे बाद दूसरे सदस्य मोर्चा संभाल ले रहे हैं. इनकी मांग है कि उन्हें काम पर रखा जाए और नियमित किया जाए. मृत कर्मचारियों के आश्रितों को नौकरी दी जाए.
खुफिया एजेंसी ने दी प्रशासन को रिपोर्ट
खुफिया सुरक्षा एजेंसी ने इरीगेशन डिपार्टमेंट इम्पलाइज यूनियन के क्रमिक अनशन किए जाने को गंभीरता से लिया है. जिलाधिकारी और एसएसपी को रिपोर्ट दी है. गुजारिश की है कि इस आंदोलन को देखते हुए आंदोलनस्थल पर सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की जाए. प्रशासन कर्मचारियों के आंदोलन को गंभीरता से ले
आंदोलन के दौरान इनका हो गया निधन
यूनियन के धरना-प्रदर्शन और अनशन में कंधा से कंधा मिलाकर खड़े रहने वाले आशीष कुमार, चंद्रसेन, चंद्रमणि, प्रहलाद, योगेंद्र, जवाहर, सत्यदेव, श्यामसुंदर, रामकृपाल, विजय, बुझावन की मौत हो चुकी है. सहयोगी कर्मियों ने अपनी लड़ाई में अब इनके परिवारीजनों का हित शामिल कर लिया है.