हैमर थ्रो के अभ्यास में जुटी हुई थी 57 साल की चंद्रकांता चानना, जीता रजत पदक

चौक स्टेडियम में शाम के पांच बजे होंगे..., तमाम युवा एथलीटों के बीच 57 साल की चंद्रकांता चानना हैमर थ्रो के अभ्यास में जुटी हुई थीं

Update: 2022-06-14 13:51 GMT

चौक स्टेडियम में शाम के पांच बजे होंगे..., तमाम युवा एथलीटों के बीच 57 साल की चंद्रकांता चानना हैमर थ्रो के अभ्यास में जुटी हुई थीं। पता चला कि इन्होंने पिछले दिनों त्रिवेंद्रम में आयोजित मास्टर्स नेशनल की हैमर थ्रो स्पर्धा में 15 खिलाड़ियों को पछाड़ते हुए रजत पदक जीता है और वह भी कैंसर जैसी बीमारी से लड़ते हुए।

चंद्रकांता को ब्रेस्ट कैंसर से जूझते हुए करीब एक साल से अधिक समय हो चुका है, लेकिन खेल के प्रति जज्बे को देखकर नहीं लगता कि उन्हें इसका जरा भी डर हो। दूसरों के लिए मिसाल चंद्रकांता की सोच है कि जन्म और मृत्यु तो जीवन का शाश्वत सत्य है। इसे झुठलाया तो नहीं जा सकता, लेकिन बीमारी के डर से घर में बैठ जाना कायरता है। जब तक जीवन है, हर पल का आनंद लीजिए।
वर्ष 2020 के अंत में ब्रेस्ट में गिल्टी का अहसास होने पर चंद्रकांता ने होम्योपैथी से इलाज कराना शुरू किया। इससे लाभ न मिला तो परिजनों की सलाह पर कैंसर एक्सपर्ट से मिलीं। जुलाई 2021 में बायोप्सी में ब्रेस्ट कैंसर की पुष्टि हुई।
इसके बाद पेटस्कैन में कैंसर का प्रभाव उनके शरीर के अन्य हिस्सों पर भी दिखा। कैंसर एक्सपर्ट के इलाज का खर्च बहुत अधिक बताने पर चंद्रकांता ने मेडिकल कॉलेज में डॉ. ईशा जफा से इलाज शुरू कराया। वहीं, बेटे सागर ने मां के इलाज में दिन-रात एक कर दिया। छह सितंबर 21 को चंद्रकांता की पहली कीमो हुई, जिसकी अब तक संख्या 10 हो चुकी हैं। इसके चलते उनके सिर के बाल झड़ चुके हैं। ऐसे में साफा बांधकर सुबह और शाम को चौक स्टेडियम में नियमित अभ्यास करती हैं। हालांकि, कीमो के दौरान उन्हें एक सप्ताह घर में बिताना पड़ता है, ताकि रिकवरी तेज हो। शुरुआती दिक्कतों के बाद चंद्रकांता ने चौक स्टेडियम में दौड़ना शुरू किया, फिर कोच राधेश्याम से हैमर थ्रो की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी।
कुछ यूं की मास्टर नेशनल की तैयारी
मास्टर्स नेशनल के लिए चंद्रकांता का यूपी टीम में तो चयन हो गया था, लेकिन इस दौरान उनकी कीमो की डेट थी। ऐसे में डॉ. ईशा से अनुमति लेकर उन्होंने कीमो की तारीख एक सप्ताह बढ़ा ली और चौक स्टेडियम में ट्रेनिंग शुरू कर दी। इसमें परेशानी भी आई, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और त्रिवेंद्रम में अपना दम दिखाते हुए रजत पदक पर कब्जा जमाया। इससे पहले चंडीगढ़ में वर्ष 2018 में हुए मास्टर्स नेशनल में उन्होंने यूपी के लिए हैमर थ्रो में स्वर्ण और डिस्कस थ्रो में रजत पदक जीता था। वहीं, देहरादून में वर्ष 2019 में हुए मास्टर्स नेशनल में हैमर और डिस्कस थ्रो में स्वर्णिम सफलता हासिल की थी।
चंद्रकांता बताती हैं कि एक साल पहले जब ब्रेस्ट कैंसर होना का पता चला तो लगा कि रिपोर्ट झूठी है, क्योंकि बीमारी का कोई लक्षण नहीं था। पेटस्कैन के बाद महसूस हुआ कि कुछ तो गड़बड़ है। डॉ. ईशा ने मेरा हौसला बढ़ाया और सामान्य ढंग से जीने को बोला। तब मैंने सोचा कि खेलों से जुड़ी रहूंगी तो इलाज के दौरान मानसिक तनाव दूर रहेगा
उन्होंने कहा कि इसके चलते आज 10 कीमो के बाद भी मैं मास्टर्स नेशनल के मुकाबले में पदक जीतने में कामयाब रही। इससे मेरा उत्साह और बढ़ गया है। मैं बेहतर खेलकर अपनी बीमारी का सामना करूंगी। आगे जो होगा देखा जाएगा।


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