मेरठ: उत्तर भारत में तमाम कार्यों की रफ्तार थमा देने वाली भयंकर सर्दी के बावजूद दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के भूमिगत स्टेशनों का निर्माण एक विशेष तकनीक के इस्तेमाल द्वारा तेजी गति जारी है। कॉरिडोर के भूमिगत सेक्शन के निर्माण में प्रयोग किए जाने वाले टनल रिंग्स के निर्माण के लिए प्री कास्ट सेगमेंट को एनसीआरटीसी के कास्टिंग यार्ड में स्टीम क्योरिंग तकनीक की मदद से तेजी से बनाया जा रहा है।
एनसीआरटीसी के कास्टिंग यार्ड में गुणवत्ता नियंत्रण के साथ टनल सेगमेंट्स की कास्टिंग की जाती है। हालांकि सर्दी का मौसम आते ही सेगमेंट्स के प्री-कास्ट करने के कार्य में चुनौती का सामना करना पड़ता है। तापमान कम होने के कारण मशीन के जरिये मोल्ड करके बनाए गए सेगमेंट्स को निर्धारित समय में मजबूती नहीं मिल पाती है, यानी सेगमेंट में इस्तेमाल हुआ कंक्रीट, सरिया एवं अन्य कंस्ट्रक्शन मटीरियल समयबद्ध तरीके से अपनी ठोस अवस्था में नहीं पहुंच पाता। जब तक सेगमेंट पूरी तरह मजबूत व ठोस नहीं हो जाते हैं।
उनका इस्तेमाल टनल निर्माण में नहीं हो सकता है। ऐसे में कम तापमान वाले मौसम में टनल रिंग्स के प्रीकास्ट सेगमेंट को तेजी से मजबूती प्रदान करने और ठोस बनाने के लिए एनसीआरटीसी द्वारा स्टीम क्योरिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। स्टीम क्योरिंग तकनीक के अंतर्गत बॉइलर की मदद से नव-निर्मित सेगमेंट्स को 5 से 7 घंटे तक भाप (स्टीम) दी जाती है। इससे नवनिर्मित सेगमेंट 3 गुना ज्यादा तेजी से मजबूती व अपनी ठोस कंक्रीट अवस्था प्राप्त कर लेते हैं।
आमतौर पर तापमान 10 डिग्री से कम होने पर एक प्री-कास्ट सेगमेंट को सामान्य अवस्था में मजबूती हासिल करने में 40 से 45 घंटे का समय लगता है। वहीं, स्टीम क्योरिंग तकनीक के जरिये यह कार्य लगभग 10 घंटे में पूर्ण हो जाता है। ऐसे में इस तकनीक की बदौलत मौसम बदलने के बावजूद टनल रिंग्स के निर्माण की रफ्तार धीमी नहीं होती तथा भूमिगत कॉरिडोर के निर्माण की रफ्तार तेज बनी रहती है।
मेरठ में कुल 11 किलोमीटर समानांतर टनल का निर्माण होना है। जिसमें से लगभग 5 किलोमीटर टनल बन चुकी है। इसमें लगभग 21,000 टनल प्री-कास्ट सेग्मेंट्स का प्रयोग किया गया है। इन टनल रिंग्स का निर्माण रोजाना एनसीआरटीसी के कास्टिंग यार्ड में गुणवत्ता नियंत्रण के साथ किया जाता है।